कभी देश में नक्सल मूवमेंट का जनक रहा बंगाल का नक्सलबाड़ी गांव समय के साथ-साथ लाल से केसरिया रंग में ढलता नजर आ रहा है। उत्तर बंगाल के कॉमर्शियल हब माने जाने वाले सिलीगुड़ी से 25किलोमीटर दूर नक्सलबाड़ी में 60के दशक के अंतिम दौर में हिंसा की शुरुआत हुई थी। जिसके बाद इसका प्रसार देश के कई हिस्सों में हुआ। लेकिन अब नक्सलबाड़ी में बदलाव की बयार साफ महसूस की जा रही है।
भारत में माओवादी हिंसा की शुरुआत बंगाल के दार्जिलिंग में नक्सलबाड़ी गांव से हुई थी। लेकिन अब यहां पर बीजेपी के झंडे देखने को मिल रहे हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए आठ चरण में मतदान हो रहे हैं। दार्जिलिंग के इस क्षेत्र में पांचवे चरण में वोट डाले जाएंगे। गांव के लोगों का कहना है कि यहां सभी दल द्वारा झंडे लगाए गए हैं। हालांकि उनका कहना है कि अब भी इस क्षेत्र में लोगों का झुकाव लेफ्ट की तरफ अधिक रहा है। लेकिन यहां बीजेपी,सीपीआई, सीपीआईएमएल, सीपीआई एम सहित सभी दलों के झंडे देखे जा सकते हैं।
वहां के लोगों की माने तो उनका कहना है कि उन्होंने बहुत कुछ खो दिया जिस विचारधार से वो आगे बढ़े थे, लड़े थे वो कहीं पिछे छूट गया, वहां की हालात के लिए लेफ्ट फ्रंट जिम्मेदार है। वहां के लोगों की माने तो बीजेपी ने वहां के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है, लोगों को उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल में अगर बीजेपी की सरकार आती है तो वहां की हालात में कुछ सुधार होगा। नक्सलबाड़ी विकास के लिए आंखे गाड़े बैठा है, ऐसे में बीजेपी का नारा "सबका साथ सबका विकास" वहां के लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है। माना जा रहा है नक्सलबाड़ी में बीजेपी की ही सरकार बनेगी।