चुनाव के बाद भी बंगाल में बवाल जारी है। मोदी-ममता की लड़ाई में अलपन बंद्योपाध्याय पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। यास तूफान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में शामिल न होने वाले मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को को दिल्ली तलब किया गया। उन्हें आज सुबह 10 बजे नार्थ ब्लॉक में रिपोर्ट करना था, लेकिन वो नहीं आए। बंदोपाध्याय की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिट्ठी आई। ममता ने कहा कि ऐसे मुश्किल समय में पश्चिम बंगाल की सरकार अपने मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ममता के इस रुख के बाद कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) बंदोपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को राज्य सरकार के कहने पर केंद्र सरकार की सहमति के आधार पर उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार (एक्सटेन्शन) दिया हुआ है, ऐसे में उनके एक्सटेंशन को केंद्र रद्द कर सकता है।
जानकारों के मुताबिक, अगर कोई अधिकारी राज्य में तैनात है तो उसको सेन्ट्रल डेपुटेशन को कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है। ऐसे में राज्य चाहे तो सेंट्रल डेपुटेशन के आदेश को मानने से इनकार कर सकती है। यही नहीं अगर केंद्र राज्य में तैनात किसी भी अधिकारी को दिल्ली तलब करता है तो ऐसे मामले में भी राज्य सरकार की सहमति जरूरी है। अलपन बंदोपाध्याय को ममता सरकार ने दिल्ली जाने की अनुमति नहीं दी है।
आल इंडिया सर्विस रूल 6 (1) के मुताबिक किसी भी अधिकारी को सेंट्रल डेपुटेशन के लिए राज्य की सहमति लेनी जरूरी है। आइए अब हम आपको ये बताते हैं कि अब दोपाध्याय के मामले में केंद्र के पास करवाई के लिए क्या-क्या विकल्प है। केंद्र अलपन बंदोपाध्याय के तीन महीने के सर्विस एक्सटेंशन को रद्द कर सकता है। या केंद्र सरकार अलपन बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी कर ये पूछ सकता है क्यों न उन पर अनुशात्मक करवाई की जाए।
इसके पहले ममता बनर्जी ने पत्र में कहा, 'पश्चिम बंगाल सरकार ऐसी मुश्किल घड़ी में अपने मुख्य सचिव को रिहा नहीं कर सकती और न ही रिहा कर रही है।' बनर्जी ने केंद्र के इस फैसले को वापस लेने, पुनर्विचार करने और आदेश को रद करने का अनुरोध किया। शनिवार को ममता ने कहा था, "उनकी (अलपन बंदोपाध्याय) क्या गलती है? मुख्य सचिव होने के नाते, मेरी सहायता करना उनका कर्तव्य है। उन्हें मेरे खिलाफ बहुत सारी शिकायतें हो सकती हैं और वे अलग-अलग तरीकों से मेरा अपमान कर रहे हैं। मैंने इसे स्वीकार कर लिया है, लेकिन उन्हें (बंदोपाध्याय) क्यों पीड़ित किया जा रहा है? वह ईमानदार हैं और चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं।"