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W. Bengal: क्या बर्खास्त होगी ममता सरकार! बिगड़ती कानून व्यवस्था पर राज्यपाल धनखड़ ने मुख्य सचिव को किया तलब

ज्यपाल धनखड़ ने ममता बनर्जी को घेरा

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए महीनेभर से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन यहां हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा है कि, इस 'प्रतिशोधात्मक हिंसा' पर काबू पाने के लिए प्रशासन की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में जानने के लिए मुख्य सचिव एचके द्विवेदी को बुलाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि राज्य में चुनाव बाद हिंसा अब भी जारी है और ये मानवता को शर्मसार कर देगी। इसके साथ ही उन्होंने एक वीडियो और तस्वीरें शेयर कर दावा किया है कि, राज्य पुलिस राजनीतिक विरोधियों से बदला लेने के लिए सत्ताधारी व्यवस्था के विस्तार के तौर पर काम कर रही है।

ट्विटर पर अपनी बात रखते हुए राज्यपाल ने कहा है कि, बंगाल में लाखों लोग विस्थापित किए जा रहे हैं और करोड़ों रुपयों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने ट्वीट किया, कानून-व्यवस्था का बहुत ही चिंताजनक परिदृश्य। सुरक्षा के माहौल के साथ गंभीर समझौता किया जा रहा है। ऐसी मुश्किल स्थिति में मैंने मुख्य सचिव को कानून व्यवस्था के हालात और चुनाव बाद हुई हिंसा पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए सोमवार सात जून को बुलाया है।

 

राज्यपाल धनखड़ ने यह भी आरोप लगाया है कि जिन लोगों ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ मत दिया वे लक्षित हिंसा से पीड़ित हैं। राज्य अकल्पनीय स्तर पर चुनाव बाद अप्रत्याशित प्रतिशोधात्मक हिंसा की चपेट में है। लाखों लोग विस्थापित किए जा रहे हैं और करोड़ों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। लगातार तोड़फोड़ और अराजकता से बड़े पैमाने पर आगजनी, लूट और संपत्तियों को नुकसान हुआ है। अराजक तत्वों के हाथों बलात्कार और हत्या की कई घटनाएं हुईं और ऐसे तत्वों को कानून का कोई भय नहीं है।

 

पश्चिम बंगाल में जिन लोगों ने सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को वोट नहीं दिया उन्हें चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है, उनके घरों को तोड़ दिया जा रहा है, महिलाओं को पीड़ित किया जा रहा है, साथ ही कई लोगों को जान से भी मार दिया गया है। इन घटनाओं की निंदा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उनसे अपने ही घरों में रहने एवं अपना काम-धंधा चलाने के लिए जबरन वसूली की जा रही है। ट्विटर पर उन्होंने लिखा कि, 'लोकतांत्रिक मूल्यों की सत्तारूढ़ दल के गुंडों द्वार खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लोगों को पुलिस से जान का डर है,इसलिए वे सत्तारूढ दल के गुंडों के पैरों पर गिर रहे हैं।' राज्य के अधिकारी 'इस समस्या पर काबू पाना तो दूर, इसे स्वीकार भी नहीं कर रहे हैं।'

इसके साथ ही पुलिस पर आरोप लगाते हुए राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि, पुलिस राजनीतिक विरोधियों पर अपना प्रतिशोध निकालने देने के लिए सत्ताधारी व्यवस्था के विस्तारित अंग के रूप में काम कर रही है। ऐसी गंभीर स्थिति में सात जून को मुख्य सचिव को बुलाया जाए और वह मुझे चुनाव बाद हिंसा पर नियंत्रण कायम करने के लिए उठाए गए कदमों से वाकिफ कराएं।