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‘चुनाव बाद हिंसा, एक लाख से ज्यादा हिंदुओं का प. बंगाल से पलायन’

'चुनाव बाद हिंसा, एक लाख से ज्यादा हिंदुओं का प. बंगाल से पलायन'

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में लगातार हिंसा होती रही और चुनाव खत्म होने के बाद भी हिंसा जारी है, इस बीच सुप्रीम कोर्ट में लगातार याचिकाएं दाखिल हो रही हैं। एक नई याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद होने वाली हिंसा के कारण लोगों का सामूहिक पलायन और आंतरिक विस्थापन हुआ है। इसके साथ ही याचिका में दावा किया गया है कि इस हिंसा के चलते राज्य में एक लाख से अधिक लोक पलायन करने के लिए मजबूर हैं।

याचिका में पुलिस पर लगा आरोप

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तो बन गईं लेकिन उनके एक भी दावे सही साबित होते नजर नहीं आ रहे हैं, आलम यह है कि अब भी राज्य में हिंसा की वजह से लोग अपना घर छोड़कर पलायन करने पर मजबूर हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में यह भी कहा गया है कि पुलिस और 'राज्य प्रायोजित गुंडे' आपस में मिले हुए हैं। यहीं वजह है कि पुलिस मामलों की जांच नहीं कर रही और उन लोगों को सुरक्षा देने में विफल रही, जो जान का खतरा महसूस कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि हिंसा के डर से लोग विस्थापित हो रहे हैं या पलायन करने को मजबूर हैं। वे पश्चिम बंगाल के भीतर और बाहर आश्रय गृहों या शिविरों में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। इसके साथ ही याचिका में एक लाख से अधिक लोगों के विस्थापन का दावा किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि राज्य प्रायोजित हिंसा के कारण पश्चिम बंगाल में लोगों का पलायन एक गंभीर मानवीय मुद्दा है। यह लोगों के अस्तित्व का मामला है। इन लोगों को दयनीय परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत नागरिकों को मिले मौलिक अधिकार का साफतौर पर उल्लंघन है। वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने शुक्रवार (21 मई) को जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की।

याचिका में कहा गया कि कि केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद-355 के तहत अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए राज्य को आंतरिक अशांति से बचाना चाहिए। राज्य में राजनीतिक हिंसा, टारगेटेड हत्या और बलात्कार आदि की घटनाओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने की मांग की गई है। साथ ही, मांग की गई कि विस्थापित व्यक्तियों के लिए शिविर, भोजन, दवाओं आदि की तत्काल व्यवस्था की जाए।

इसके अलावा केंद्र सरकार को पलायन के पैमाने और कारणों का आकलन करने के लिए एक जांच आयोग गठित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते इस याचिका पर सुनवाई करेगा।