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जानें क्या होती है टूलकिट? क्यों बताया जा रहा है इसे ‘विदेशी साज़िश’

जानें क्या होती है टूलकिट?

26जनवरी के दिन दिल्ली के लाल किले और आईटीओ में हुई हिंसा ने परे देश को सकते में डाल दिया। मौका था किसानों के ट्रैक्टक रैली का। इस भयानक उपद्रव के बाद दिल्ली पुलिस एक्शन में आई और इस हिंसा के पीछे किसका हाथ है इसकी छानवीन शुरू हुई। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने एक टूलकिट का जिक्र किया जिसका इस्तेमाल लाल किले पर हुए हिंसक प्रदर्शन में किया गया। दिल्ली पुलिस ने इसे "लोगों में विद्रोह पैदा करने वाला दस्तावेज़" बताया है और इसे जाँच के दायरे में ले लिया है।

अब आप सोच रहे होंगे कि ये टूलकिट होता क्या है आखिर इसे लेकर इतना घमासान क्यों मचा है।

टूलकिट आख़िर होती क्या है?

मौजूदा दौर में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जो भी आंदोलन होते हैं, जैसे कि अमेरिका में 'ब्लैक लाइव्स मैटर, 'एंटी-लॉकडाउन प्रोटेस्ट' हो, पर्यावरण से जुड़ा 'क्लाइमेट स्ट्राइक कैंपेन' हो या फ़िर कोई दूसरा आंदोलन हो, सभी जगह आंदोलन से जुड़े लोग कुछ 'एक्शन पॉइंट्स' तैयार करते हैं, यानी कुछ ऐसी चीज़ें प्लान करते हैं जो आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए की जा सकती हैं। जिस दस्तावेज़ में इन 'एक्शन पॉइंट्स' को दर्ज किया जाता है, उसे टूलकिट कहते हैं।

टूलकिट बनाने का मकसद यह होता है कि कैसे विरोध-प्रदर्शन या आंदोलन से जुड़ी जानकारी और लोगों तक पहुंचाएं और आंदोलन को तेज करें। दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन के लिए ‘टूलकिट’ बनाने वालों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह, आपराधिक साजिश और नफरत फैलाने की धाराओं में केस दर्ज किया है। इस टूलकिट को पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर किया था।

भारत की  दिशा रवि उस टूलकिट की एडिटर हैं और उस टूलकिट को तैयार करने और उसे सोशल मीडिया पर सर्कुलेट करने वाली मुख्य ‘आरोपी’ हैं। पुलिस के मुताबिक, दिशा रवि ने ही स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट मुहैया कराई थी। पुलिस का कहना है कि दिशा के कहने पर ही ग्रेटा ने पहले वाले टूलकिट को डिलीट किया और अगले दिन इसका एडिटेड वर्जन शेयर किया।

टूलकिट में क्या था?

तीन पन्नों की इस टूलकिट में किसान आंदोलन के समर्थन में कई बातें लिखी थीं। टूलकिट के मुताबिक, इसका मकसद भारत में चल रहे किसान आंदोलन, कृषि क्षेत्र की मौजूदा स्थिति और किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बारे में जानकारी देना था, लेकिन पुलिस को इस टूलकिट से कई ऐसी जानकारियां मिलीं जो संदिग्ध थीं। जांच एजेंसियां इसे एक विदेशी साजिश बता रहे हैं। पुलिस का आरोप है कि इसमें खालिस्तानी समर्थक समूह भी शामिल हैं। 

फिलहाल मामले में पुलिस ने बेंगलुरु की क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि को गिरफ्तार कर पांच दिनों की रिमांड पर ले लिया है साथ ही अन्य आरोपियों की तलाश है।