आज दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन लोगों को बताया जाता है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। कोरोना वायरस से दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन के बीच मानवीय गतिविधियों में कमी से प्रकृति को खुद को क्लीन करने समय मिला है। कोरोना ने हमें समझा दिया कि प्रकृति से छेड़छाड़ कितना घातक हो सकता है। पर्यावरण में हमें सिखला दिया की हम चाहे कितनी भी तरक्की क्यों ना कर लें प्रकृति के सामने हम बैने ही हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की और से की गई थी। पर्यावरण दिवस की शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से हुई थी। इसी दिन यहां पर दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें भारत की ओर से तात्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भाग लिया था। इस सम्मेलन के दौरान ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी नींव पड़ी थी। जिसके चलते हर साल विश्व पर्यावरण दिवस आयोजन का संकल्प लिया गया। जिससे लोगों को हर साल पर्यावरण में हो रहे बदलाव से अवगत कराया जा सके और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए लोगों को समय-समय पर जागरुक किया जा सके।
विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने से पहले हर साल के लिए एक थीम का चयन किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम 'पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली (Ecosystem Restoration)' है। जंगलों को नया जीवन देकर, पेड़-पौधे लगाकर, बारिश के पानी को संरक्षित करके और तालाबों के निर्माण करने से हम पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से रिस्टोर कर सकते हैं।