भारत के सेना प्रमुख एमएम नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के म्यांमार यात्रा से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के चेहरे की हवाईयां उड़ गयी हैं। शी जिनपिंग म्यांमार सरकार को अपने झांसे में लेकर भारत को अस्थिर करने की साजिश कर रहे थे। दरअसल, म्यांमार सरकार को सहयोग की आड़ में चीन की सरकार म्यांमार के आतंकियों को मदद कर रही थी। चीन की मंशा है कि इन आतंकियों के जरिए म्यांमार और भारत दोनों को अस्थिर बनाने की है। चीन की इस मंशा को म्यांमार और भारत दोनों ने भांप लिया। चीन की इस चाल को नाकाम करने के लिए दोनों सरकार ने रणनीति बनाने का फैसला किया। नरवणे और श्रृंगला की यात्रा इसी उद्देश्य से हो रही है।
सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला दो दिन की म्यांमार यात्रा का उद्देश्य रक्षा और सुरक्षा समेत अनेक क्षेत्रों में संबंधों का और विस्तार करना है। विदेश मंत्रालय ने यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि इस यात्रा से मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने और आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने का अवसर मिलेगा।
यह जनरल नरवणे की पिछले साल 31 दिसंबर को सेना प्रमुख के रूप में कामकाज संभालने के बाद पहली विदेश यात्रा होगी। जनरल नरवणे और श्रृंगला इस यात्रा में म्यांमार की स्टेट काउंसिलर आंग सान सू ची तथा म्यामां सशस्त्र बलों के प्रमुख कमांडर सीनियर जनरल मिन आंग लैंग समेत म्यांमार के शीर्ष सैन्य और राजनीतिक पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे। म्यांमार, भारत के रणनीतिक पड़ोसी देशों में से एक है जो उग्रवाद प्रभावित नगालैंड और मणिपुर समेत उत्तर पूर्व के कई राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।.