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यूपी में घर-मकान-जमीन खरीदना हुआ आसान, डीएम ऑफिस से तय होगी कीमत और स्टैम्प फीस, दलालों के चंगुल से मिलेगी मुक्ति

अब यूपी में जमीन और मकान खरीदने-बेचने वालों को होगी आसानी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के फैसले के बाद अब राज्य में जमीन खरीदने और बेचने वाले लोगों के लिए काफी राहत होगी। योगी सरकार ने स्टाम्प और रजिस्ट्री विभाग की ओर से लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत अब दुकान, मकान, फ्लैट आदि सभी भू- संपत्तियों की खरीद के दौरान रजिस्ट्री कराने के लिए लगने वाला स्‍टाम्‍प शुल्क जिलाधिकारी की ओर से तय किया जाएगा।

दरअसल, कई बार जमीन की खरीददारी के वक्त रजिस्ट्री करवाते समय उस पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को तय करने में विवाद हो जाता था। योगी सरकार इस विवाद को खत्म करना चाहती थी। ऐसे में स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग ने इसके लिए एक प्रस्ताव बनाया। स्टाम्प मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने स्पष्ट किया कि कैबिनेट के इस फैसले से लागू होने वाली व्यवस्था अनिवार्य नहीं बल्कि एच्छिक होगी।

नए नियम के अनुसार अब अगर कोई व्यक्ति किसी जमीन, भवन आदि को खरीदने से पहले उसकी कीमत और उस पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क का आंकलन करवाना चाहे तो वह जिलाधिकारी के कार्यालय में आवेदन करके ट्रेजरी चालान से 100 रुपये शुल्क जमा करके करवा सकता है। अभी तक जिलाधिकारी इसमें रूचि नहीं लेते थे मगर मगर नयी व्यवस्था में जिलाधिकारियों को ऐसा आंकलन करने के लिए बाध्य होना होगा।

कैसे काम होगा नए प्रस्ताव के बाद

स्टाम्प मंत्री रवीन्द्र जायसवाल  के मुताबिक अब कोई भी व्यक्ति प्रदेश में कहीं भी कोई जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि खरीदना चाहेगा तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र देना होगा और साथ ही ट्रेजरी चालान के माध्यम से कोषागार में 100 रुपये का शुल्क जमा करना होगा। उसके बाद डीएम लेखपाल से उस भू-सम्पत्ति की डीएम सर्किल रेट के हिसाब से मौजूदा कीमत का मूल्यांकन करवाएंगे।

उसके बाद उस सम्पत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क का भी लिखित निर्धारण होगा। स्टांप मंत्री ने कहा कि अभी तक जो व्यवस्था चल रही थी उसमें कोई व्यक्ति भूमि, भवन खरीदना चाहता था तो उस भू-सम्पत्ति का मूल्य कितना है इस पर संशय बना रहता है और खरीददार प्रापर्टी डीलर, रजिस्ट्री करवाने वाले वकील, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी से सम्पर्क करता था और उसमें मौखिक तौर पर उस भवन या भूमि की कीमत तय हो जाती थी, उसी आधार पर उसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क लगता था।

बाद में विवाद की स्थिति पैदा होती थी कि उक्त भू-संपत्ति की कीमत इतनी नहीं बल्कि इतनी होनी चाहिए थी, इस लिहाज से इसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क कम वसूला गया। प्रदेश के स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग में ऐसे मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही थी जिस पर अब अंकुश लगेगा। स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग के जानकार अफसरों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से अगर भूमि, भवन की रजिस्ट्री पर सही स्टाम्प शुल्क मिलने लगेगा तो निश्चित ही राजस्व में बढ़ोतरी होगी।