उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब अपनी पार्टी के विधायकों की शिकायतें नियमित रूप से सुनेंगे। उनके इस कदम को 'नौकरशाही की दीवार को ध्वस्त' करने का प्रयास बताया जा रहा है। दरअसल इससे पहले मुख्यमंत्री ने कई वरिष्ठ अधिकारियों को विधायकों की शिकायतों को देखने की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन विधायक इस व्यवस्था से संतुष्ट नहीं थे।
योगी ने रविवार से अपने गृह जिले गोरखपुर में सांसद और विधायकों से मुलाकात कर इस प्रक्रिया को शुरू भी कर दिया है। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कई मुद्दों का हल किया, साथ ही चुने गए प्रतिनिधियों से कहा कि वे सोशल मीडिया और अन्य सार्वजनिक प्लेटफार्मों के जरिए अपनी शिकायतें नहीं करेंगे। ऐसा योगी ने इसीलिए कहा क्योंकि ऐसे विधायकों की संख्या बढ़ती जा रही थी, जो अपनी शिकायतों को सार्वजनिक रूप से प्रसारित कर रहे हैं।
हाल ही में सुल्तानपुर के लम्भुआ से भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने एक नौकरशाह के साथ बैठक के बाद कहा कि उनकी शिकायतों को 'अभी तक हल नहीं किया गया है।' इसके बाद उन्होंने राज्य विधानसभा में एक लिखित प्रश्न पूछकर सत्तारूढ़ दल और सरकार को खासा शर्मिंदा कर दिया था। उन्होंने अपने प्रश्न में पूछा था कि पुलिस मुठभेड़ों में अब तक कितने ब्राह्मण मारे गए।
इसी तरह गोरखपुर शहरी से बीजेपी विधायक राधा मोहन अग्रवाल, गाजियाबाद के नरेंद्र सिंह गुर्जर और हरदोई के श्याम प्रकाश जैसे विधायक भी हैं, जो विभिन्न मुद्दों पर अपनी ही सरकार की खिंचाई करने में हिचकिचाते नहीं हैं।.