‘कोविड-19’ के झटकों से कृषि क्षेत्र को बचाने के प्रयासों के तहत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के जरिए किसानों को रियायती ऋण मुहैया कराने के लिए एक विशेष परिपूर्णता अभियान वर्तमान में चलाया जा रहा है। 17 अगस्त 2020 तक 1.22 करोड़ किसान क्रेडिट कार्डों को 1,02,065 करोड़ रुपये की ऋण सीमा के साथ स्वीकृति दी गई है।
इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने और कृषि क्षेत्र के विकास की गति तेज करने में काफी मदद मिलेगी। सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के एक हिस्से के रूप में 2 लाख करोड़ रुपये के रियायती ऋण का प्रावधान या व्यवस्था करने की घोषणा की थी। जिससे मछुआरों और डेयरी किसानों सहित 2.5 करोड़ किसानों के लाभान्वित होने की आशा है।
इस मानसून सीजन में देशभर में औसत से ज्यादा बारिश होने से खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई का रकबा 1,000 लाख हेक्टेयर के ज्यादा हो गया है। पिछले साल की तुलना में करीब 9 फीसदी ज्यादा बुवाई हुई है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 14 अगस्त 2020 तक खरीफ फसलों की बुवाई 1,015.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
भारत की 1.38 अरब आबादी में से लगभग आधी आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। जिसकी आर्थिक उत्पादन में हिस्सेदारी घटकर अब केवल करीब 15% रह गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उर्वरकों की ज्यादा मांग और मानसून की फसलों की बुवाई का हवाला देकर कहा है कि कृषि क्षेत्र में आर्थिक मंदी को दूर करने की क्षमता है।
ये दोनों ग्रामीण गतिविधियों के प्रमुख संकेतक हैं, जो यह दिखाने के लिए पर्याप्त हैं कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में “उम्मीद की किरण” दिखाई दे रही है। उम्मीद है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सिकुड़ते निर्यात और विनिर्माण क्षेत्र के झटके के खिलाफ एक बड़े अवरोध क्षेत्र या बफर जोन का काम करेगी।.