<p id="content">उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में इंसान व जानवरों के बीच संघर्षों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (WWF India) की तरफ से 'बाघ मित्र' नामक एक टीम का गठन किया जा रहा है (Bagh Mitra)। लखीमपुर खीरी में कुल 50 बाघ मित्र चुने गए हैं, जबकि पीलीभीत जिले में 75 बाघ मित्रों (Bagh Mitra) को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये स्थानीय निवासियों को इस विषय में जागरूक करेंगे, बाघ/चीते के व्यवहारों को समझाने का प्रयास करेंगे, पगमार्क्स की पहचान कराएंगे और बचाव कार्य में सहायता प्रदान करने की दिशा में अपना समर्थन देंगे।</p>
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डब्ल्यू डब्ल्यू एफ-इंडिया के स्टेट कॉर्डिनेटर मुदित गुप्ता के मुताबिक, "इंसान और तेंदुओं के बीच संघर्षो से संबंधित घटनाओं में निरंतर इजाफा देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ सालों में जानवरों और बाघों के जंगल से निकलकर इंसानों की बस्ती में घुसने की भी संख्या में वृद्धि हुई है। हम उन्हें इस स्थिति में रहने के बारे में बताएंगे।"
आंकड़ों के अनुसार पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। यहां पर बाघों की संख्या 65 के करीब पहुंच गई है। जबकि लखीमपुर खीरी में 107 बाघ हैं। जिनमें से 82 जंगल क्षेत्र में पाए जाते हैं, अन्य 25 मोहम्मदी रेंज के गन्ने के खेतों में पाए जाते हैं।
बाघ मित्र समय-समय पर ग्रामीणों के साथ बैठक करेंगे और उन्हें बाघों के बारे में जानकारी देंगे कि कैसे खुद को इनसे बचाया जाए। बाघ मित्रों को जल्द ही एडवांस ट्रेनिंग भी दी जाएगी। जिसमें इन्हें बाघों के रेसक्यू ऑपरेशन के समय ट्रैंकुलाइजिंग प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा। साथ ही जीपीएस से कैसे बाघों की गतिविधि पर नजर रखा जाए और बाघों को ट्रैप करने के लिए कैमरे स्थापित करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।.