देश में कच्चे जूट के उत्पादन और उत्पादकता में सुधार करने के प्रयास के तहत वस्त्र मंत्रालय, भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) के माध्यम से किसानों को जूट के प्रमाणित बीज उपलब्ध कराएगा। इसके लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक केन्द्रीय उद्यम, राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) जेसीआई को इन गुणवत्तापूर्ण व प्रमाणित बीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
2021-22 फसल वर्ष के लिए जेसीआई 10,000 क्विंटल जूट के जेआरओ – 204 किस्म के प्रमाणित बीज वितरित करेगा। इस पहले वाणिज्यिक वितरण के लिए जेसीआई द्वारा राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) से प्रमाणित बीज खरीदे जाएंगे। इससे 5-6 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे, नकली बीज के बाजार में भारी कमी आएगी और जेसीआई के राजस्व में वृद्धि होगी।
इस संबंध में जेसीआई और राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वर्चुअल मोड के माध्यम से समझौता ज्ञापन के हस्ताक्षर कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें दोनों संगठनों के सीएमडी भी मौजूद थे। समझौता ज्ञापन वर्ष 2021-2022 में जेसीआई के माध्यम से प्रमाणित जूट के बीज का वितरण सुनिश्चित करेगा।
इस अवसर पर केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी ने किसानों को प्रमाणित जूट बीज प्रदान करने के लिए कृषि मंत्रालय और वस्त्र मंत्रालय के बीच हुए तालमेल के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष फरवरी में घोषित राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन में जूट और जूट वस्त्र उत्पादों के लिए एक विशेष प्रावधान है।
केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने कहा कि जल निकायों के तटबंध (लाइनिंग) बनाने में, सड़क निर्माण में और पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन रोकने के लिए संरचनाओं के निर्माण में जूट के उपयोग को बढ़ाने की अपार संभावना है। घरेलू बाजार के लिए जूट की जरूरत में आत्मनिर्भर होने के अलावा, अगला लक्ष्य जूट और इसके उत्पादों के सन्दर्भ में देश की निर्यात क्षमता को मजबूत करना है।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय बीज निगम और भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने जूट किसानों को कम लागत पर अच्छी गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराने में राष्ट्रीय बीज निगम के कार्य की सराहना की।
तोमर ने देश में कच्चे जूट के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के महत्व पर जोर दिया, और कहा कि इसके साथ, उत्पादों के मूल्य संवर्धन से प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने तय समय सीमा के भीतर जूट निर्यात क्षमता के निर्माण के लिए एक रोड मैप तैयार करने पर भी जोर दिया।
जूट परियोजना, आईकेयर के अंतर्गत क्षेत्र की तीन एजेंसियां - भारतीय पटसन निगम (जेसीआई), राष्ट्रीय जूट बोर्ड (एनजेबी) और सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर जूट एंड एलाइड फाइबर्स (सीआरआईजेएएफ) जूट की मात्रा और गुणवत्ता के समग्र सुधार के लिए आधुनिक कृषि-विज्ञान आधारित प्रथाओं को बढ़ावा दे रहीं हैं।
निम्न गुणवत्ता वाले बीजों और / या नकली बीजों के कारण पिछले कुछ वर्षों में उत्पादित कच्चे जूट की गुणवत्ता प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है। यह समझौता ज्ञापन यह सुनिश्चित करेगा कि जूट किसान, विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों और गहन फसल प्रणाली के लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त करने में सक्षम हैं।.