कोविड महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन के कठिन समय में भी भारत ने खाद्यान्नों का निर्यात जारी रखते हुए इस बात का पूरा ख्याल रखा कि विश्व खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में किसी तरह की बाधा नहीं आए। मार्च -जून 2020 की अवधि में देश से 25552.7 करोड़ रुपये की कृषि वस्तुओं का निर्यात हुआ जो कि 2019 की इसी अवधि में हुए 20734.8 करोड़ रुपये के निर्यात की तुलना में 23.24 प्रतिशत अधिक है।
2017-18 में भारत का कृषि निर्यात देश के कृषि जीडीपी का जहां 9.4 प्रतिशत था, वहीं 2018-19 में यह 9.9 प्रतिशत हो गया। जबकि भारत के कृषि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में कृषि आयात 5.7 प्रतिशत से घटकर 4.9 प्रतिशत रह गया।
कृषि उत्पादन के मामले में शीर्ष पर होने के बावजूद कृषि उत्पादों के निर्यात के मामले में भारत बड़े कृषि उत्पाद निर्यातक देशों की सूची में अग्रणी स्थान नहीं पा सका है। उदाहरण के रूप में भारत, दुनिया में गेहूं उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है, लेकिन निर्यात के मामले में यह 34वें स्थान पर है। इसी तरह सब्जियों के उत्पादन में विश्व में तीसरे स्थान पर होने के बावजूद निर्यात के मामले में यह 14 वें स्थान पर है।
जहां तक फलों का मामला है, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन इस क्षेत्र में भी यह निर्यात के मामले में 23वें स्थान पर है। कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक देश बनने के लिए उत्पादन बढ़ाने के साथ ही के साथ ही कृषि क्षेत्र में सक्रिय और स्पष्ट हस्तक्षेपों की आवश्यकता है।
वर्तमान में खाड़ी देशों में आयात की जाने वाली वस्तुओं में भारत की भागीदारी महज 10-12 प्रतिशत है। इसी के समान कई नई भौगोलिक और विस्तारित बाजारों की सूची को बढ़ाया जा सकता है, जिन्हें नए उत्पादों के साथ पेश किया जा सकता है।
फलों और सब्जियों के विश्व स्तर पर होने वाले 208 अरब डॉलर के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी नहीं के बराबर है। इस स्थिति में सब्जियों के निर्यात की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग की पहल पर कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिए उत्पाद विशिष्ट निर्यात संवर्धन मंच बनाए गए हैं।
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