तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छांगतु प्रिफेक्चर की मांगखांग कांउटी में लानछांगच्यांग नदी के दोनों तटों पर खड़े ऊंचे पर्वतों की ढलान पर अनोखा दृश्य नजर आता है। कुछ हजार छोटे-छोटे कृत्रिम तालाबों में सफेद-सफेद तरल चीज रखी होती है। जिनमें छिंगहाई तिब्बत पठार में नीले आसमान और सफेद बादल की छाया नजर आती है। कुछ दिन बाद सूर्य की गर्मी और हवा से सूखा तरल पदार्थ धीरे-धीरे क्रिस्टलीकरण के जरिए नमक बन जाता है।
तिब्बत में एक मात्र प्राचीन नमक खेत होने के नाते मांगखांग नमक खेत का इतिहास 1300 वर्ष पुराना है। खेती का काम करने के बराबर नमक के खेत में संचालन प्रक्रिया सुनिश्चित हुई है। स्थानीय गांव वासी साधारण उपकरणों से कुओं में से नमकीन पानी निकालते हैं, फिर पानी को पीठ पर लादकर नमक के खेत में खुदे हुए तालाब में डालते हैं।
तालाब में पानी सूखने के बाद नमकीन क्रिस्टल पैदा होते हैं। इस प्रकार के नमकीन क्रिस्टल को तालाब से निकालकर नमक के खेत में छोटी-छोटी लकड़ियों से बने शेल्फ पर रखा जाता है। आम तौर पर एक हफ्ते बाद हवा और सूरज की रोशनी से नमक क्रिस्टल में तब्दील हो जाता है और तालाब की जमीन पर चमकदार नमक नजर आता है।
नमक की प्राप्ति वाले अद्वितीय आदिम तरीके और विशेष प्राकृतिक दृश्य ने हर वर्ष अनगिनत पर्यटक मांगखांग आते हैं, जिससे स्थानीय पर्यटन उद्योग को विकास का मौका मिला। साल 2017 में यहां 5 ए स्तरीय पर्यटन क्षेत्र स्थापित किया गया।
मांगखांग काउंटी के नाशी जातीय टाउनशिप में च्याता गांव के प्रमुख केसांग तुनतंग के मुताबिक, गांव में 3600 से अधिक नमक के खेत हैं, 220 परिवारों के लोग नमक उत्पादन के काम से जुड़े हैं। नमक बनाना उनकी आय का प्रमुख स्रोत है। हर साल करीब 50 हजार पर्यटक घूमने के लिए इस गांव में आते हैं, इस तरह पर्यटन सेवा करने से ग्रामीणों की आय में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।.