केंद्र ने एक अध्यादेश जारी किया है, जिसके तहत अब प्रदूषण फैलाना जेल जाने का कारण बन सकता है। इस अपराध में 5 साल तक की सजा और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यह अध्यादेश राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बुधवार की रात को जारी कर दिया गया।
इसी हफ्ते सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि केंद्र दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक कानून बनाएगा, और अदालत से आग्रह करेगा कि पराली जलाने की निगरानी के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व जज मदन बी.लोकुर के एक सदस्यीय पैनल के आदेश को प्रभावी रखे।
अध्यादेश के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के आसपास के क्षेत्रों के लिए एक एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन बनाया जाएगा। अध्यादेश में कहा गया है, "इस अध्यादेश का पालन न करने या कमीशन द्वारा जारी किए गए आदेश या निर्देश के तहत बनाए गए नियमों का पालन न करने पर 5 साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।"
आयोग के अध्यक्ष का चयन पर्यावरण और वन मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। इसमें परिवहन और वाणिज्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मंत्री और कैबिनेट सचिव भी बतौर सदस्य शामिल होंगे। 18 सदस्यीय आयोग में एक पूर्णकालिक चेयरमैन होगा। 18 सदस्यों में से 10 नौकरशाह होंगे, जबकि अन्य विशेषज्ञ और कार्यकर्ता होंगे। आयोग के आदेशों को केवल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में ही चुनौती दी जा सकेगी, न कि किसी सिविल कोर्ट में।.