मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में हुई जोरदार बारिश के बाद बाढ़ का पानी उतरते ही बर्बादी की तस्वीर उभरकर सामने आने लगी है। कई लोगों के घरों को जहां पानी बहा ले गया है, वहीं संपत्ति का नुकसान हुआ है। इसके अलावा अब कीचड़ जैसी समस्या के साथ बीमारी का डर भी सताने लगा है। राज्य में पिछले दिनों हुई बारिश के बाद नदियों-नालों में आए उफान और बांधों का जलस्तर बढ़ने से पानी की हुई निकासी ने होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, सीहोर सहित राज्य के चौदह जिलों के बड़े हिस्से में जमकर तबाही मचाई।
एक तरफ जहां खेतों में खड़ी फसल चौपट हो गई, वहीं गांव के गांव पानी में डूब गए। जलस्तर उतरने के बाद गांवों में हुए नुकसान की तस्वीर उभरकर सामने आ रही है, वह लोगों के दर्द को और बढ़ाने का काम कर रही है। कहीं मकानों का नामों निशान नहीं बचा है, घरों के भीतर का सामान बर्बाद हो गया है, तो सड़कें कीचड़ में बदली हुई है।
सीहोर जिले के सातदेव गांव में तो बाढ़ के पानी ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। दो हजार की आबादी वाले इस गांव में लगभग तीन सौ मकान है, इनमे से पैंतीस से ज्यादा मकानों का तो नामो निशान ही नहीं बचा है। मवेशी, खाद्य सामग्री के अलावा अनाज भी पानी बहा ले गया। लोगों का जीवन मुसीबत से घिर गया है। इसी तरह सुमित्रा देवी की दुकान का सारा सामान बह गया है और उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
इसी जिले के मंडी गांव में नर्मदा नदी के पानी ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। यहां के खेत जलमग्न है और फसलों को नुकसान पहुंचा है। इतना ही नही दस मकानों को बड़ी क्षति हुई है।
सरकारी आंकलन के अनुसार, "राज्य के चौदह जिलों में लगभग सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसलों केा नुकसान हुआ है। सरकार ने किसानों को मदद का भरोसा दिलाया है।"
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चार दिन तक लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने बिगड़े हालात में भी लोगों से न घबराने की अपील की। उन्होंने सरकार की ओर से हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
चौहान ने ग्रामीणों के बीच पहुंचकर नुकसान को करीब से देखा और कहा, "फसलों के साथ मकान आदि का भी सर्वे कराया जाएगा। गंदा पानी न पीने की सलाह देते हुए सरकारी अमले को निर्देशित किया कि प्रभावित लोगों को शुद्घ भोजन, शुद्घ पेयजल, दवाइयां व अन्य आवश्यक सामग्री प्रदाय सुनिश्चित किया जाए।".