Hindi News

indianarrative

कश्मीर के केसर को सिक्किम में उगाने की तैयारी

केसर का कटोरा जो अभी तक कश्मीर तक ही सीमित था, फिलहाल अब उसका जल्द ही भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र तक विस्तार हो सकता है। केसर के बीजों से निकले पौधे कश्मीर से सिक्किम ले जाए गए और उन्हें वहां रोपा गया। ये पौधे पूर्वोत्तर राज्य के दक्षिण भाग में स्थित यांगयांग में फल-फूल रहे हैं।

केसर का उत्पादन लंबे समय से केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र तक ही सीमित रहा है। भारत में पंपोर क्षेत्र को आमतौर पर कश्मीर के केसर के कटोरे के रूप में जाना जाता है। इसका केसर के उत्पादन में मुख्य योगदान है। इसके बाद बडगाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ जिलों का स्थान हैं। केसर पारंपरिक रूप से प्रसिद्ध कश्मीरी व्यंजनों के साथ जुड़ा हुआ है। इसके औषधीय गुणों को कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा माना जाता था। क्योंकि केसर की खेती कश्मीर के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित रही इसलिए इसका उत्पादन भी सीमित ही रहा।

हालांकि <strong>नेशनल मिशन ऑन केसर</strong> ने इसकी खेती को बेहतर बनाने के लिए कई उपायों पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन ये उपाय अभी तक विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित थे। <strong>नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लिकेशन एंड रीच</strong> (एनईसीटीएआर), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त निकाय है। इसने गुणवत्ता और उच्चतर प्रमात्रा के साथ, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में केसर उगाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू करने में मदद की है।

<img class="wp-image-17403" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/कोसर2.jpg" alt="The National Mission on Saffron has focused on several measures" width="574" height="250" /> नेशनल मिशन ऑन केसर ने यांगयांग (सिक्किम) में इसकी खेती को बेहतर बनाने के लिए कई उपायों पर ध्यान केंद्रित किया है।

<strong>सिक्किम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बॉटनी और हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट</strong> ने सिक्किम के यांगयांग की मिट्टी और उसके वास्तविक पीएच स्थितियों को समझने के लिए परीक्षण किए। इसने पाया कि यहां की मिट्टी कश्मीर के केसर उगाने वाले स्थानों के समान ही है। विभाग ने कश्मीर से केसर के बीज/कॉर्म खरीदे और इन्हें यांगयांग लाया गया। एक केसर उत्पादक को इस काम में लगाया गया और उसे इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ पूरी उत्पादन प्रक्रिया की देखभाल के लिए रखा गया।

सितंबर और अक्टूबर के दौरान कॉर्म की सिंचाई की गई, जिससे समय पर कॉर्म अंकुरित हुआ और इस पर बहुत अच्छे फूल आए। पंपोर (कश्मीर) और यांगयांग (सिक्किम) के बीच जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां समान होने से केसर की नमूना खेती सफल हुई।

इस परियोजना में फसल कटाई के बाद के प्रबंधन और मूल्य संवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। ताकि केसर की गुणवत्तायुक्त सुखाई हो और कटाई के बाद अच्छी केसर की प्राप्ति हो तभी इसके उत्पादन में सुधार होगा। इसके अलावा, मृदा परीक्षण, गुणवत्ता, प्रमात्रा और संभावित मूल्यवर्धन सहित सभी मानकों के विस्तृत विश्लेषण किए गए। इस परियोजना के तत्काल परिणाम और एक्सट्रपलेशन का सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के साथ-साथ पूर्वोत्तरे क्षेत्र के अन्य भागों में भी उपयोग करने की योजना है।.