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एथेनॉल की कीमत बढ़ने से चीनी के उत्पादन पर लगेगा अंकुश

एथेनॉल की कीमत बढ़ने से चीनी के उत्पादन पर लगेगा अंकुश

एथेनॉल की खरीद की प्रक्रिया और कीमतों में वृद्धि कर इसके उत्पादन व आपूर्ति को बढ़ावा देने के फैसले का स्वागत करते चीनी उद्योग का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहा कि इस फैसले से न सिर्फ चीनी के उत्पादन में 20 लाख टन की कमी आएगी, बल्कि पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी।

इस्मा महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, "इससे न सिर्फ चीनी के अधिशेष उत्पादन में करीब 20 लाख टन की कमी आएगी, बल्कि हम 2022 तक 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम होंगे।"

केंद्र सरकार ने एक दिसंबर, 2020 से 30 नवंबर, 2021 की एथेनॉल आपूर्ति वर्ष के चीनी सीजन 2020-21 के लिए एथेनॉल की कीमतों में वृद्धि को मंजूरी दी है। सरकार ने सी-हैवी शीरे से बने एथनॉल की कीमत 43.75 रुपये से बढ़ाकर 45.69 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है, जबकि बी-हैवी शीरे से उत्पन्न एथनॉल की कीमत 54.27 रुपये से बढ़ाकर 57.61 रुपये प्रति लीटर तय की गई है।

वहीं, गन्ने के रस/चीनी की चाशनी से बने एथनॉल की कीमत 59.48 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 62.65 रुपये प्रति लीटर की गई है।

वर्मा ने एथेनॉल की कीमतों में 3.34 रुपये तक की वृद्धि को आकर्षक बताते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले पर कच्चे तेल के दाम में गिरावट के कारण एथेनॉल की कीमतों के पुनरीक्षण की आशंकाओं पर विराम लग गया और एथेनॉल की कीमतों को कच्चे तेल की कीमत से नहीं बल्कि चीनी व गन्ने के दाम से जोड़ कर देखने की सरकार की प्रतिबद्धता साबित हुई।

उन्होंने कहा कि इससे चीनी उद्योग और शराब उद्योग का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा और वे एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश करने को प्रोत्साहित होंगे।.