शनि कर्म फल दाता देव हैं। ये तीनों लोकों में एक जैसा फल देते हैं, मतलब यह है कि शनि देव पृथ्वी वासियों की तरह देवताओं और असुरों को भी उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनि देव के अशुभ प्रभावों से हर कोई भयभीत रहता है। शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन कुछ उपाय करने चाहिए। इन उपायों को करने से शनिदेव के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी पर शनि की साढ़े साती, ढैया, वक्र दृष्टि या शनि की महादशा चल रही है तो उसको हनुमान जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि दोषों से मुक्ति मिल जाती है। शनिवार के दिन एक से अधिक हनुमान चालीसा पढ़ने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
इसके अलावा शनिवार के दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। इस दिन शनिदेव को तेल अर्पित करें। इस समय कोरोना वायरस की वजह से घर से बाहर जाना सुरक्षित नहीं है, इसलिए घर में रहकर ही शनिदेव की पूजा- अर्चना करें। इस दिन शनि चालीसा और शनि देव के मंत्रों का जप करें।
ध्यान रहे, 2021 में शनि का राशि परिवर्तन नहीं हुआ है। शनि एक राशि से दूसरी राशि में जाने में ढाई साल का समय लेते हैं। सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी गति से चलते हैं। शनि के राशि परिवर्तन करने पर तीन राशियों पर साढ़ेसाती और दो राशियों पर ढैय्या का प्रभाव शुरू हो जाता है।
शनि जिस राशि में प्रवेश करते हैं उस पर उस राशि के आगे- पीछे वाली राशियों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। वहीं शनि के राशि परिवर्तन के समय शनि जिस राशि से चौथे या आठवें भाव में होते हैं, तब उस राशि पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाती है। शनिने 29 अप्रैल 2022 को राशि परिवर्तन करेंगे। इस समय धनु, कुंभ और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और तुला, मिथुन राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है।