एक कहावत है, चादर जितनी हो, उतने ही पैर फैलाने चाहिए, लेकिन आज के समय में हर कोई सुख-सुविधाओं से भरा जीवन जीने के लिए अपनी चादर से बाहर पैर फैलाना चाहता है यानी जरुरत से ज्यादा सुविधाओं को हासिल करना चाहता है। इससे लिए अगर कर्ज भी लेना पड़े तो भी कुछ लोग इससे पीछे नहीं हटते। लेकिन जब इन्हीं लोगों से पैसे वापस मांगे जाते है, तो कर्ज चुकता करने में ये आनाकानी करते है। इन लोगों को लेकर महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक महात्मा विदुर ने अपनी नीतियों में बताया है कि किन लोगों को पैसे उधार नहीं देना चाहिए। खासकर बुधवार के दिन-
आलसी व्यक्ति को न दें धन– महात्मा विदुर कहते हैं कि जो व्यक्ति आलस से भरा हो, उसे कर्ज कभी नहीं देना चाहिए। विदुर जी कहते हैं कि आलसी व्यक्ति को पैसे उधार देने से खुद का ही नुकसान होता है। क्योंकि आलसी दूसरों पर आश्रित होते हैं और खुद कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे में इस तरह के व्यक्ति को कर्ज देने से बचना चाहिए।
गलत कामों में संलिप्त रहने वालों को– विदुर जी के अनुसार, गलत कामों में लिप्त रहने वालों को पैसे उधार देने से बचना चाहिए। ऐसे लोगों का साथ गलत रास्ते पर चलने वालों के साथ होता है। इन्हें कर्ज देने से बचना चाहिए।
जिनपर भरोसा न हो– विदुर जी कहते हैं कि जिन लोगों पर विश्वास न हों उन्हें पैसे कभी उधार नहीं देने चाहिए। ऐसे लोगों का धन उधार देने पर नुकसान उठाना पड़ता है। ये लोग कर्ज लेकर पैसों को कही फंसा देते हैं। ऐसे में जिन लोगों पर भरोसा नहीं हो उन्हें पैसे उधार देने से बचना चाहिए।