आज बगलामुखी जयंती है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है। इस दिन मां बगलामुखी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हिंदू धर्म ग्रंथ में मां बगलामुखी को 10 महाविद्याओं में से एक माना गया है। ये 10 महाविद्याओं के क्रम में 8वीं महाविद्या है। इन्हें पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि को ही मां बगलामुखी अवतरित हुई थी। आज के दिन मां बगलामुखी की पूजा करने से सारे दोष मिट जाते है।
देवी पुराण में बताया गया है कि इस तिथि पर अपराजिता रूप में देवी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती है। आज आप शुभ मुहुर्त पर पूजा-अर्चना कर मां बगलामुखी को प्रसन्न कर सकते है। आज पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजे शुरू होकर, अगले दिन 20 मई को दोपहर तक है। अष्टमी तिथि होने के कारण इसी दिन व्रत रखना भी काफी शुभकारी माना गया है। इसके लिए आज आप आम के रस मिले पानी से स्नान करें, उसमें थोड़ा सा गंगाजल भी मिला ले।
देवी बगलामुखी की पौराणिक कथा- हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में एक बार भयंकर तूफान आया था जिसके कारण सृष्टि का विनाश होने लगा। तब भगवान विष्णु के तप के बाद हरिद्रा सरोवर से मां बगलामुखी जलक्रीड़ा करती हुई उत्पन्न हुईं थीं। तब नारायण भगवान ने सृष्टि के विनाश को रोकने के लिए मां बगलामुखी से प्रार्थना की। भगवान के तप और प्रार्थना से मां बगलामुखी तथास्तु कहकर अंतर्धान हो गई। जिस दिन यह घटना घटी उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। तभी से हर साल मां बगलामुखी की जयंती इसी तिथि को मनाई जाने लगी।