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Bhai dooj पर आज महज 1 घंटे 39 मिनट तक शुभ संयोग,जल्दी से नोट करें तिलक का शुभ मुहूर्त

Bhai Dooj 2022 Shubh Muhurat City Wise

दिवाली व गोवर्धन पूजा के बाद भाईदूज (Bhai dooj) का पावन पर्व मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में भाईदूज का पर्व आज यानी 27 अक्टूबर 2022 को मनाया जा रहा है। भाईदूज का पर्व भी भाई बहन के प्रेम और स्नेह को अभिव्यक्त करता है। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है, वहीं भाई बहन को उपहार देखर जीवनभर उसकी रक्षा का संकल्प लेता है। भाईदूज का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है।

वैसे लोग इस बार लोग भाईदूज की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति में है। बता दें भारत के अधिकतर राज्यों में भाईदूज का पर्व आज मनाया जा रहा है। प्रतिपदा तिथि कल यानी 26 अक्टूबर दोपहर से आरंभ हो गई है, लेकिन उदयातिथि आज से शुरू होने के कारण, इस पर्व की धूम आज अधिक देखने के मिल रही है। भाईदूज के दिन शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2022 Shubh Muhurat) में तिलक व पूजन करना अधिक फलदायी माना जाता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम आपको सिटी वाइज तिलक व पूजन की शुभ मुहूर्त बताने जा रहे हैं। यहां आप देख सकते हैं, कि आपके शहर में तिलक व पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है।

भाईदूज 2022 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार भाईदूज का पावन पर्व कार्तिक मास (Kartik Mass) की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। प्रतिपदा तिथि 26 अक्टूबर 2022, बुधवार को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है, वहीं इस तिथि की समाप्ति आज यानी 27 अक्टूबर, गुरूवार को दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर होगी। तिलक व पूजन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो आज 11 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक तिलक व पूजन का शुभ मुहूर्त है। हालांकि शहर के अनुसार इसका समय अलग अलग है। यहां देखें सिटी वाइज आपके शहर में तिलक व पूजन का शुभ मुहूर्त।

भाईदूज 2022 शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली दोपहर, 1 बजकर 9 मिनट से 1:20 तक, 39 मिनट
नोएडा दोपहर, 10:44 से 12:45 तक
गाजियाबाद दोपहर, 11:00 से 12:45 तक
उत्तर प्रदेश दोपहर 10:38 से 12:45 तक
बिहार दोपहर 12:45 से 2:43 तक , 2 घंटे 2 मिनट
कानपुर दोपहर, 2:44 से 03:15 तक
मुम्बई दोपहर, 1:44 से 03:50 तक, 1 घंटे 05 मिनट
लुधियाना दोपहर, 11:30 से 12:45 तक
आगरा दोपहर, 11:00 से 12:45 तक
मथुरा दोपहर, 10:00 से 12:38 तक
चण्डीगढ़ दोपहर, 10:52 से 12:44 तक

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क्यों मनाया जाता है भाई दूज?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थीं, यमराज और यमुना। दोनों में बहुत प्रेम था। बहन यमुना हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें। लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे। एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दोपहर में यमराज उनके घर पहुंचे। यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुईं। इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया। बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा।

सपर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं। साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर-सत्कार के साथ टीका करें, उनमें यमराज का भय न हो। तब यमराज ने बहन को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा। तब से यही परंपरा चली आ रही है। इसलिए भैयादूज वाले दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।