अगर आप घर खरीदने की सोच रहे है तो आपके लिए ये खबर बड़े ही काम की है। दरअसल, नोएडा अथॉरिटी ने हाल ही में निर्देश दिया है कि फ्लैट की रजिस्ट्री अब कार्पेट एरिया के आधार पर ही होगी। बीते काफी समय से खरीदार मांग करते रहे हैं कि रजिस्ट्री सुपर एरिया के आधार पर नहीं होनी चाहिए। इस वजह से बिल्डर्स को फ्लैट की कीमतें बढ़ाने का मौका मिल जाता है। नोएडा अथॉरिटी के नए नियमों के मुताबिक, अब फ्लैट का रजिस्ट्रेशन उसके सुपर एरिया की जगह कार्पेट एरिया के आधार पर करना अनिवार्य होगा।
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सुपर एरिया के मुकाबले कार्पेट एरिया का साइज कम होने की वजह से यह तय है कि ये कदम ग्राहकों की जेब को राहत देगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कदम से रजिस्ट्रेशन फीस घटेगी और घर खरीदने की कुल लागत में गिरावट देखने को मिलेगी। उनके मुताबिक, फ्लैट के आकार के आधार पर ग्राहकों के लिये अब फ्लैट की लागत 1 से 2.5 लाख तक कम हो सकती है। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 25 अक्टूबर को ही आम्रपाली मामले में नोएडा अथॉरिटी को नोटिस जारी किया था। आम तौर पर फ्लैट्स की बिक्री में कार्पेट एरिया, बिल्ट अप एरिया और सुपर एरिया के आधार पर गणना की जाती है।
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सबसे छोटा हिस्सा कार्पेट एरिया का होता है। वास्तव में एक फ्लैट के खरीदार को इस्तेमाल के लिये कार्पेट एरिया ही मिलता है। कार्पेट एरिया फ्लैट के उस हिस्से को कहते हैं जिसका इस्तेमाल खरीदार अपने अनुसार कर सकता है। इससे बड़ा बिल्टअप एरिया होता है। आमतौर पर फ्लैट के लिये सुपर एरिया उसके कार्पेट एरिया से 10-15 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकता है। आमतौर पर बिल्डर फ्लैट को उसके सुपर एरिया के आधार पर बेचते हैं, इससे फ्लैट के वास्तविक इस्तेमाल में आने वाली जगह की कीमत बढ़ जाती है। नोएडा अथॉरिटी के नये निर्देश के बाद अब बिल्डर्स कार्पेट एरिया के आधार पर ही फ्लैट की बिक्री कर सकेंगे।