चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरु है। ऐसे में माता रानी के घर बुलाने और उनकी स्वागत की तैयारियां शुरू हो गई हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि दो शब्द को जोड़कर बना है। जिसमें पहला शब्द नव और दूसरा शब्द रात्रि है। जिसका अर्थ है नौ रातें। पूरे भारत में नवरात्रि को एक त्योहार के रुप में मनाया जाता है। नवरात्रि में स्वच्छता का खास ध्यान रखे और दिशाओं का ध्यान रखे।
- देवी माता की मूर्ति और कलश स्थापना दोनों ही उत्तर-पूर्व दिशा में करें।
- मूर्ति स्थापना के लिए चंदन की लकड़ी की चौकी का इस्तेमाल करें।
- माता की मूर्ति स्थापित करने के बाद स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।
- नवरात्रि में माता को सोलह शृंगार का सामान अर्पित करें।
- लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, लाल सिंदूर, लाल बिंदी, कंघी आदि को शृंगार में शामिल करें।
- आम और अशोक के पत्तों से घर के मुख्य द्वार को सजाएं।
- नवरात्रि में देवी मां के चरणों के निशान घर में बनाएं।
- अखंड ज्योति को दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रज्जवलित करें।
नवरात्रि में कमल पर बैठी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का तस्वीर लाना शुभ माना जाता है। उनके हाथों से धन वर्षा हो रही हो तो और भी अच्छा माना जाता है। मां लक्ष्मी को केसर या हल्दी में रंगे पीले चावल चढ़ाएं। नवरात्र में अपने घर पर लाल ध्वजा लगाएं। ये ध्वजा उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाएं। इसके अलावा, आप घर में मोर का पंख जरूर लाएं। इसे घर में पूजा स्थल पर रखें। मोर का पंख घर में खुशहाली का प्रतीक होता है। वहीं घर में चांदी या सोने का सिक्का भी नवरात्र में लाने से घर में शांति बनी रहती है।