कल से यानी 13 अप्रैल से नवरात्रि शुरु हो जाएगी। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदु धर्म में नवरात्रि को ये पर्व खास माना जाता है। पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि का समापन 22 अप्रैल को होगा। जानिए इन 9 दिन मां दुर्गा के किन नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है-
13 अप्रैल – शैलपुत्री
14 अप्रैल- ब्रह्मचारिणी पूजा
15 अप्रैल- चंद्रघंटा पूजा
16 अप्रैल- कुष्मांडा पूजा
17 अप्रैल- स्कंदमाता पूजा
18 अप्रैल- कात्यायनी पूजा
19 अप्रैल- कालरात्रि पूजा
20 अप्रैल- महागौरी पूजा
21 अप्रैल- नवरात्रि पारण
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना किया जाता है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 13 अप्रैल को सुबह 5: 45 से 9: 59 बजे तक और दोपहर 11: 41 से 12: 32 तक है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करे और साफ-सुथरा वस्त्र पहने। इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें और एक लकड़ी की पटरी लेकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। कपड़े पर चावल रखकर मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें। इसी बर्तन के ऊपर जल का कलश रखें। इस कलश पर स्वास्तिक बनाएं। फिर कलावा बांध दें। कलश में सुपाड़ी, सिक्का और अक्षत डालना न भूले।
कलश पर अशोक के पत्ते रखें। साथ ही एक नारियल को चुनरी से लपेट कर कलावा बांध दें। इस दौरान 'ओम अपाम पतये वरुणाय नम:' या 'सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते' मंत्र का जाप करते रहे। कलश स्थापना करने के बाद माता रानी की मूर्ति स्थापित करें। ध्यान रहे मां दुर्गा को खाली चुनरी न चढ़ाए। चुनरी के साथ सिंदूर, नारियल, पंचमेवा, मिष्ठान, फल, सुहाग का सामान भी साथ में चढ़ाएं। इससे मां खुशकर आर्शीवाद देती है। अगर आप नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाना चाहते हैं तो पीतल या मिट्टी का दीया साफ कर लें।