हिंदू धर्म में चैत्र महीने में पूर्णिमा आज है। इस पूर्णिमा का बड़ा महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लोग सत्यनारायण की कथा करवाते है। यही नहीं, उनकी कृपा पाने के लिए भी पूर्णिमा का व्रत भी रखते है। चलिए आपको बताते है कि पूर्णिमा के महत्व, पूजा और शुभ मुहूर्त के बारे में। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज नगरी में रास उत्सव रचाया था। इस रास उत्सव को महारास के नाम से जाना जाता है।
ऐसी भी मान्यताएं हैं कि इस दिन भगवान हनुमान का जन्म भी हुआ था। चैत्र पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त बस कुछ ही घंटों बाद शुरु हो रहा है। ये शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से अगले दिन सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। इस दिन सुबह के वक्त स्नान कर भगवान विष्णु के दर्शन के लिए भक्त मंदिर जाते है। हालांकि इस साल कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन रहते हुए घर में पूजा पाठ करनी होगी। पूर्णिमा के सुबह के दिन स्नान-दान, हवन, चप- तप और व्रत का बहुत महत्व है।
इस दिन हनुमान जयंती होने की वजह से पूर्णिमा की पूजा करना अत्यंत फलदायी है। इसके बाद सूर्य देव की पूजा करें और उनका मंत्र जाप करें। रात के वक्त चंद्र देव का भी विधि से पूजन करने का विधान है। चैत्र पूर्णिमा के साथ ही वैशाख महीना का आगमन हो जाता है। वैशाख का महीना धर्म कर्म की दृष्टि से बहुत ही विशेष माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, वैशाख के महीने को साल का दूसरा मास माना गया है। इस मास का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। वैशाख मास में पड़ने वाले व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।