इस साल का पहला चंद्रग्रहण 26 मई दिन बुधवार को लगने जा रहा है। जब धरती पूरी तरह चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो इस स्थिति को पूर्ण चंद्रग्रहण कहा जाता है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा लाल नजर आता है जिसे ब्लड मून भी कहते है। चंद्र ग्रहण दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा और शाम 7 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगा। ये ग्रहण एक उपछाया ग्रहण होगा। उपछाया ग्रहण में सूतक नहीं होता है। यही वजह है कि ग्रहण से पहले सभी कार्य वैसे ही किए जा सकते हैं जैसे होते रहे है।
ये चंद्र ग्रहण संपूर्ण भारत में नहीं दिखेगा, इसीलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। जिसके चलते इसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस बार ग्रहण वृश्चिक राशि में लगने जा रहा है जिसके चलते ग्रहण का सबसे ज्यादा असर इसी राशि के जातकों पर पड़ेगा। काल पुरूष की जन्म कुंडली में वृश्चिक राशि को आठवीं राशि बताया गया है। वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल है जो इस दिन मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे।
दूसरे ग्रहों की स्थिति-
वृष राशि: सूर्य, शुक्र, बुध और राहु
मिथुन राशि: मंगल
वृश्चिक राशि: केतु, चंद्रमा
मकर राशि: शनि
कुंभ राशि: गुरू
चंद्र ग्रहण के समय अनुराधा नक्षत्र रहेगा। अनुराधा नक्षत्र का स्थान सभी 27 नक्षत्रों में 17 नंबर पर आता है। शनि देव अनुराधा नक्षत्र के स्वामी है, जो इस दिन मकर राशि में रहेंगे। इस नक्षत्र के चारों चरण वृश्चिक राशि के अंर्तगत आते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों पर मंगल ग्रह का प्रभाव देखने को मिलता है। मंगल इस दिन मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में शुभ घटना नहीं माना जाता है. ग्रहण के समय चंद्रमा पीड़ित हो जाता है, जिस कारण उसका प्रभाव कमजोर पड़ जाता है। वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में चंद्र ग्रहण लग रहा है, इसलिए वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में जन्म लेने वालों को सावधान रहने की जरूरत है।