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हाईपर लूप ट्रेन, दिल्ली से मुंबई का सफर महज 1 घण्टे में!

हाईपर लूप ट्रेन, दिल्ली से मुंबई का सफर महज 1 घण्टे में!

अब दुनिया को बहुत चल्द ही 1200 किमी प्रतिघंटा के रफ्तार से हाइपरलूप ट्रेन मिलने वाली है, लेकिन इससे पहले यह प्रोजेक्ट भारत में आया था जो दिल्ली से मुंबई के लिए बनना था लेकिन महाराष्ट्र में बीजपी की सरकार जाने के बाद जब उद्धव ठाकरे की सरकार बनी तो इस प्रोजेक्ट को कैंसिल कर दिया गया और यह प्रोजेक्ट अब भी लंबित पड़ा हुआ है। जब महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार थी तब ब्रिटेन के अरपति बिजनेसमैन और वर्जिन ग्रुप के फाउंडर रिचर्ड ब्रैनसन ने इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव सड़क परिवहन मंत्री नितिन जडकरी के सामने रखा था और इसे मंजूरी भी मिल गई थी लेकिन जैसे उद्धव ठाकरे की सरकार बनी इसे रद्द कर दिया गया।

कुर्सी संभालने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुलेट ट्रेन समेत ऐसे तमाम प्रॉजेक्ट कैंसिल कर दिए। उस दौरान डिप्टी सीएम अजीत पवार ने कहा था कि हमारी ऐसी आर्थिक स्थिति नहीं है कि हाइपरलूप जैसे कॉन्सेप्ट को अपने देश में प्रयोग में लाएं। यहां तक की वर्जिन ग्रुप के फाउंडर रिचर्ड ब्रैनसन उद्धव ठाकरे से भी भारत आकर मुलाकात की लेकिन बात नहीं बनी और अब यह प्रोजेक्ट स्विट्जरलैंड और न्यूयॉर्क में अपने काम को आगे बढ़ा रहा है।

दरअसल, स्विट्जरलैंड के एक स्टार्टअप ने एक हाइपरलूप सिस्टम की अपनी योजना का खुलासा किया है जो यात्रियों को आल्प्स के नीचे 745 मील प्रति घंटे तक की गति से सफर कराएगी। मंथी स्थित फर्म स्विसपॉड एक हाइपरलूप सिस्टम का वादा कर रही है जो यात्रियों और कार्गो को जिनेवा से ज्यूरिख तक सिर्फ 17 मिनट में या न्यूयॉर्क शहर से वाशिंगटन डीसी तक सिर्फ 30 मिनट में पहुंचाने में सक्षम होगी।

इसकी रफ्तार करीब 1200 किमी प्रतिघंटा होगी, यानी अगर भार में यह प्रोजेक्ट आता तो दिल्ली से मुंबई का सफर मात्र एक घंटे में पूरा हो जाता है। यह स्विट्जरलैंड में चलने वाली ट्रेनों की यात्राओं की अवधि का नौवां हिस्सा और अमेरिकी ट्रेनों की अवधि का सातवां हिस्सा है। फर्म के सीईओ और सह-संस्थापक डेनिस ट्यूडर के अनुसार स्विसपॉड चार से पांच सालों में अपने हाइपरलूप को बाजार में उतार सकता है। फर्म मिनी टेस्ट साइट पर नौ महीने के भीतर अपनी टेक्नोलॉजी को टेस्ट करेगी।

इसको लेकर पहले ही दावा किया जा चुका है कि, यह 620-745 मील प्रतिघंटे (1000-1200 किमी प्रतिघंटे) की रफ्तार से यात्रा करने में सक्षम है। हाइपरलूप यात्रा का एक प्रस्तावित तरीका है जिस पर कई कंपनियां काम कर रही हैं। इस तकनीक के माध्यम से यात्रियों को एक से दूसरी जगह टॉप स्पीड में पहुंचाया जा सकता है। पहली बार 1910 में अमेरिकी इंजीनियर रॉबर्ट गोडार्ड ने इसका कॉन्सेप्ट का प्रस्ताव रखा था।

स्विसपॉड की स्थापना 2019 में मस्क की फर्म स्पेसएक्स की ओर से आयोजित कराए जाने वाले कई हाइपरलूप प्रतियोगिताओं को जीत चुके ट्यूडर और सिरिल डेनेरेज ने की थी। कई हाइपरलूप प्रोजेक्ट पहले से ही सर रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन हाइपरलूप कर रही है।