आज गंगा सप्तमी है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। वैशाख शुक्ल सप्तमी को ही माता गंगा ने शिव की जटा में प्रवेश किया था। 32 दिन तक गंगा शिव की जटा में विचरण करती रही। देवताओं और भागीरथ की प्रार्थना करने पर उन्होंने गंगोत्री में जाकर अपनी जटाओं में से एक लट को खोल दिया और वहां से गंगा पृथ्वी पर ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। इसलिए हर साल इस तिथि को गंगा सप्तमी के रुप में पर्व मनाया जाता है।
गंगा सप्तमी के अलावा वैशाख मास की शुक्ल पक्ष को कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है, इसलिए धार्मिक रूप से भी इस दिन का बहुत महत्व माना गया है। मां गंगा पापों का नाश करने वाली और मोक्ष दायनी माना गया है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान करने और पूजा करने से पापों का नाश होता है। हिंदू धर्म में मां गंगा को पापनाशिनी और मोक्ष दायनी भी माना गया है। इस वजह से गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
गंगा में स्नान करने से पापों से मुक्ति होती मिलती है। गंगा मां उन्हीं व्यक्तियों के पापों से मुक्त करती है जो अनजाने में होते हैं। जानबूझकर किए गए पापकर्म गंगा स्नान करने पर भी समाप्त नहीं होते। गंगा ने स्वयं पुराणों में स्वयं कहा है कि मैं केवल उस व्यक्ति के पाप हरती हूं जो निश्चल और शुचिता का प्रतिरूप होता है। उसके अनजाने में किए हुए पापों को मैं नष्ट कर देती हूं, लेकिन अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर पाप करके गंगा स्नान से पवित्र होना चाहता है तो मैं उसे स्वीकार नहीं करती।
चूंकि अब कोरोना महामारी के वजह गंगा स्नान पर रोक लगाई गई है, तो ऐसे में आप नहाने के पानी में गंगा जल की बूंदे डालकर स्नान करें। स्नान करने के बाद गंगा माता का ध्यान करते हुए उनका प्रतिमा के सामने घी का दिया जलाएं और अपने पितरों की मुक्ति की प्रार्थना करते हुए करते हुए मां गंगा को नमन करें। इससे घर में हमेशा सुख-समृद्धि बढ़ती है। कहा जाता है कि गंगा सप्तमी का व्रत करने से पुत्र की प्राप्त होती है। गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त 18 मई को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर बुधवार, 19 मई 2021 को दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।