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Guru Pradosh Vrat: गुरु प्रदोष व्रत आज, शुभ मुहूर्त करें भगवान शिव की पूजा, इस कथा को सुनें बिना पूरी नहीं होती मनोकामना

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आज गुरु प्रदोष व्रत है। यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। चूंकि इस बार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी गुरुवार को पड़ी, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहते है। गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी पापों का नाश होता है।

 

गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ – 02:01 ए एम, दिसम्बर 16

मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त – 04:40 ए एम, दिसम्बर 17

प्रदोष काल- 05:27 पी एम से 08:11 पी एम

 

गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि

गुरुवार यानी त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले भगवान शिवजी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर आमचन कर व्रत संकल्प लें। अब सफेद वस्त्र धारण करें। इसके बाद सबसे पहले सूर्यदेव को जल का अर्ध्य दें। अब पूजा गृह में चौकी पर भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर उनकी पूजा जल, काले तिल, बिल्व पत्र, भांग, धतूरा, फल, फूल, दूध, दूर्वा, धूप-दीप आदि वस्तुओं से करें। साथ ही प्रदोष व्रत कथा कर भगवान भोलेनाथ की आरती अर्चना करें। अंत में ओम नमः शिवाय मंत्र का एक माला जाप करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ कर व्रत खोलें।

 

प्रदोष व्रत की कथा

एक नगर में तीन मित्र रहते थे- राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे, धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकि गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- 'नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।' धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्‍नी को लाने का निश्‍चय कर लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता, लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया।

ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो ज़िद पर अड़ा रहा और कन्या के माता पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्‍नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे। कुछ दूर जाने पर उनका पाला डाकुओं से पड़ा। जो उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहुंचे। वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा। जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। और कहा कि इसे पत्‍नी सहित वापस ससुराल भेज दें। धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया जहां उसकी हालत ठीक होती गई। यानि शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए

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