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Kamika Ekadashi 2021: कामिका एकादशी व्रत आज, शुभ मुहूर्त में इस तरह करें पूजा, जन्मों-जन्म भगवान विष्णु की बरसती रहेगी कृपा

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आज  कामिका एकादशी है। सावन मास की पहली एकादशी कामिका एकादशी होती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इसलिए इस दिन भगवान श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस व्रत के महत्व को धर्मराज युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था। कामिका व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सभी इच्छाएं पूरी होती है।

कामिका एकादशी शुभ मुहूर्त-

एकादशी तिथि 03 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी और 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। सर्वार्थ सिद्धि योग 04 अगस्त को सुबह 05 बजकर 44 मिनट से 05 अगस्त को सुबह 04:25 बजे तक रहेगी।

 

एकादशी व्रत पूजा- विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

 

एकादशी व्रत का महत्व

एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त होती है भगवान विष्णु सभी कष्टों को दूर करते हैं। कामिका एकादशी का व्रत करने से मनोवांचित फलों की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन  तीर्थस्थलों में स्नान, दान का भी प्रावधान है। कामिका एकादशी व्रत के फल को अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले फल के बराबर माना गया है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से पित्त प्रसन्न होते हैं। जिससे व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। इस एकादशी के दिन जो लोग सावन माह में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, माना जाता है कि उनके द्वारा गंधर्वों और नागों की पूजा भी संपन्न हो जाती है। कामिका एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही यज्ञ करने के समान फल मिलता है।