हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए करवा चौथ का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण होता हैं। हर साल कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवाचौथ मनाया जाता है। इस दिन पति की अच्छी सेहत, कामयाबी और लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं पति के नाम का सोलह श्रृंगार कर सजती संवरती हैं और चांद निकलने पर व्रत खोलती हैं। चलिए आपको बताते हैं कि करवा चौथ पर पूजा का शूभ मुहूर्त, पूजन विधि और चांद निकलने का समय
करवाचौथ व्रत का शुभ मुहूर्त
पूजा का मुहूर्त- 5 बजकर 43 मिनट से लेकर 6 बजकर 50 मिनट तक
पूजा की अवधि- 1 घंटे 7 मिनट
चंदोदय समय-8 बजकर 7 मिनट
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि-
करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी नहाकर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। तैयार हो कर करवा चौथ के व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में महिलाएं दोपहर में या शाम को कथा सुनती हैं। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि सभी करवों में रौली से सतियां बना लें। अंदर पानी और ऊपर ढ़क्कन में चावल या गेहूं भरें।
कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके बाद शिव परिवार का पूजन कर कथा सुननी चाहिए। करवे बदलकर बायना सास के पैर छूकर दे दें। रात में चंद्रमा के दर्शन करें। चंद्रमा को छलनी से देखना चाहिए। इसके बाद पति को छलनी से देख पैर छूकर व्रत पानी पीना चाहिए।