दशहरा के बाद करवा चौथ का त्योहार आता हैं। ये त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता हैं। दरअसल, इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म में सबसे कठिन माना जाता है। महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने पर ही ये व्रत खोलती है। मान्यता है कि ये व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है और इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियां भी दूर होती हैं। इस दिन माता पार्वती का पूजन किया जाता है। चलिए आपको बताते हैं कि शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में….
करवाचौथ व्रत का दिन
करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण मास की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह तिथि 24 अक्टूबर दिन रविवार है।
करवाचौथ व्रत का शुभ मुहूर्त
24 अक्टूबर को प्रात: 03 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ होगी और 25 अक्टूबर को प्रात: 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगी।
करवाचौथ व्रत पर ऐसे करें पूजा
करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह उठकर सरगी का सेवन करती हैं। सरगी की परंपरा हर घर में नहीं होती, जिनके यहां सरगी नहीं होती वह सुबह उठकर स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लेती हैं। फिर करवा चौथ की कथा पढ़ी और सुनी जाती है। कथा सुनते समय एक लौटे में जल और हाथ में चावल रखने चाहिए। इसके बाद तुलसी को जल का अर्घ्य दें। फिर पूरे दिन निर्जला और निराहार व्रत करती हैं। फिर चांद निकलने पर पूजा की थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिठाई आदि रख लें।
करवे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें। साथ ही मिट्टी के करवे में चावल भरकर रखें और साथ में कुछ दक्षिणा भी रख दें। चंद्रमा निकलने पर चंद्रमा के दर्शन कर पूजा आरंभ करें। सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाएं और फल-फूल मिठाई अर्पित करें फिर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद छलनी से चंद्रमा के दर्शन करते हुए पति को छलनी से देखें। पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें। इसके बाद पूजा की सामग्री और भेंट अपनी सास को दें।