वैसे तो हमेशा ही गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)दीपावली के अगले दिन ही की जाती है, लेकिन इस साल सूर्यग्रहण की वजह से गोवर्धन या अन्नकूट को अगले दिन यानी 26 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 या 108 तरीके के भोग लगाए जाते हैं और गोवर्धन पर्वत (Govardhan hill) की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है। यानि गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन सूर्य ग्रहण की वजह से तिथियां आगे बढ़ गईं। ऐसे में गोवर्धन पूजा और भाई दूज एक ही दिन मनाया जा रहा है।
गोवर्धन पूजा के लिए जान लें शुभ मुहूर्त
प्रातः काल मुहूर्त: 06.29 से 08:43 तक
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ: 25 अक्टूबर, शाम 4.18 पर
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 26 अक्टूबर दोपहर 2.42 पर
क्या हो गोवर्धन पूजा की विधि ?
हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके लिए सबसे पहले गाय के गोबर से गोवर्धन का चित्र घर के आंगन में बनाया जाता है। इसके बाद गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है। इस पूजन में अक्षत, रोली, जल, दूध, बताशे, पान और केसरी फूल प्रयोग में लाए जाते हैं। गोवर्धन के चित्र के पास दीप जलाकर भगवान को याद किया जाता है। मान्यता है कि आज के दिन अगर विधि-विधान से भगवान गोवर्धन की पूजा की, तो श्रीकृष्ण पूरे साल अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
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गोवर्धन पूजा के पीछे की कथा
माना जाता है कि ब्रज के लोगों पर जब भगवान इंद्र का प्रकोप बढ़ा, तो उनकी रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से ही विशाल गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, ताकि उसके नीचे हजारों जीव-जतुं और मनुष्य आसरा ले सकें। इंद्र के घमंड को चूर करने के लिए प्रभु ने अपनी दिव्य लीला दिखाई थी और गोवर्धन पर्वत की पूजा भी की थी। तभी से हर साल इस दिन पर लोग अपने घरों में गोवर्धन बनाते हैं।