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सोमवार के दिन मृत्युंजय मंत्र जाप के दौरान न करें ये भूल, पहले जान लें नियम और इस तरह करें भगवान शिव को प्रसन्न

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आज है सोमवार के दिन यानी भगवान शिव का दिन। सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते है। मान्यता है कि व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, बेर आदि चढ़ाया जाता है। रूद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से सभी कष्ट दूर होते है।

ये है महामृत्युंजय जाप-

'ओम् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात्।।'

धार्मिक मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है। कहते है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति मौत के मुंह से भी बाहर निकल आता है। अगर आपके घर में कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा बीमार है तो इस मंत्र का जाप करने से स्वस्थ हो जाता है। इतना ही नहीं, इस मंत्र के प्रभाव से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते है। शास्त्रों के मुताबिक इस मंत्र का जाप सवा लाख बार किया जाना चाहिए। चलिए आपको महामृत्युंजय जाप के फायदे बताते है।

आकाल मृत्यु से बचाता है- अगर किसी व्यक्ति के हाथों में अकाल मृत्यु का योग होता है तो इस मंत्र का जाप करने से मृत्यु का योग टाला जा सकता है। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मौत के मुंह से बाहर लाया जा सकता है। कहते हैं कि अगर आपकी कुंडली में गंभीर बीमारी, दुर्घटना या कम आयु का योग हैं तो इस मंत्र के जाप से टाला जा सकता है।

धन लाभ- अगर आप आर्थिक संकंट से जूझ रहे हैं तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से आपके रुके हुए काम बन जाएंगे। इन मंत्रों का जाप शिवलिंग के सामने बैठकर करना चाहिए।

स्वास्थ्य अच्छा रहता है- इस मंत्र का जाप करने से आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। आपको हर सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर रुद्राक्ष की माला लें और इस मंत्र का जाप करें. इससे आपका स्वास्थ्य ठीक बना रहेगा।

 

महामृत्युजंय जाप का नियम

इन मंत्रों का जाप करने में किसी तरह का अशुद्धि नहीं होनी चाहिए, यानी बोलते समय गलती ना करें।

इस जाप को कुश के आसन पर बैठकर करना चाहिए। बिना आसन के जाप न करें।

मंत्र का जाप पूर्व दिशा में मुख करके करें।

जाप के समय भगवान शिव पर दूध का अभिषेक जरूर करें।

मंत्र जाप करते समय माला 108 बार पूरी करने के बाद ही उठें।