Hindi News

indianarrative

MahaKumbh 2021: महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान, भूलकर भी न करें ये काम वरना भुगतना पड़ेगा दुष्परिणाम

photo courtesy mahakumbh

कोरोना काल के बीच हरिद्वार में लग रहा कुंभ मेला इस बार सिर्फ एक महीने के लिए ही लगा है। कुंभ मेले शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। अगला शाही स्नान 12 अप्रैल को है। मान्यता है कि कुंभ में शाही स्नान करने से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते है। सभी पापों क अंत होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही नहीं, कुंभ का स्नान करने से पितृों का भी आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। शाही स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजे रहता है। 
 
शाही स्नान से पहले आपको कुछ बातों का ख्याल रखना होगा- 
  • शाही स्नान से पहले और बाद में नशीले पदार्थ को ग्रहण न करें 
  • अपने मन में किसी भी तरह के गलत विचारों को आने न दे
  • मन में भगवान का स्मरण करते रहे
  • स्नान के बाद साफ कपड़े पहने
क्या है शाही स्नान– नाम से ही जैसा पता चलता है कि ये शाही अंदाज में होता है। साधु-संत स्नान के खास मुहूर्त से पहले साधु तट पर इकट्ठा होते है और जोर-जोर से नारे लगाते है। साधु-संतों से पहले कोई भी स्नान करने गंगा तट पर उतर नहीं सकता। करीब 13 अखाड़ों के साधु-संत जब स्नान कर लेते है, उसके बाद ही आम जनता को स्नान करने का अवसर दिया जाता है। शाही स्नान की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। माना जाता है शाही स्नान की शुरुआत 14वीं से 16वीं सदी के बीच हुई थी। उस दौरान मुगलों का शासन था। धर्म अलग-अलग होने के कारण साधु-संत और मुगल शासकों के बीच लड़ाईयां होती थी।
 
जब ये लड़ाइयां उग्र रुप लेने लगी तो मुगलों ने एक बैठक की और धर्म का सम्मान देते हुए तय किया कि वो धर्म के काम में कोई दखल नहीं देंगे। इस बैठक में काम और झंड़े के अलावा हर छोटी से छोटी चीजों का बंटवारा किया गया। साधुओं का सम्मान देते हुए मुगलों ने कुंभ में साधु-संतों की राजा-महाराजाओं जैसी पेशवाई निकलवाई। साथ ही उन्हें पहले स्नान करने का मौका दिया। ये सब एक राजशाही अंदाज में था। यही वजह है कि इस स्नान को शाही स्नान कहा जाता है।