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Nag Panchami 2021: नाग पंचमी आज, 108 साल बाद बन रहा है ये दुर्लभ संयोग, भूलकर भी न करें ये काम

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आज नाग पंचमी हैं। सावन के पवित्र माह में नागपंचमी का विशेष महत्व हैं। नागदेवता को भगवान भोलेनाथ और विष्णु का सर्वाधिक प्रिय माना जाता हैं। भगवान शिव अपने गले में सर्प को स्थान दिया हैं, तो वहीं भगवान विष्णु शेषनाग पर ही विश्राम करते हैं। नाग देव पाताल लोक के स्वामी माने जाते हैं। कहा जाता है कि नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने से उनकी कृपा बनी रहती है और वह घर की सुरक्षा करते हैं। नागपंचमी के पूजन से कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है। इस दिन लोग घरों में नाग देवता की पूजा करते हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की मनोकामना करते है।

 

नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त-

पंचमी तिथि दोपहर 1.42 बजे तक रहेगी, इसलिए इससे पहले ही नाग पंचमी की पूजा कर लेनी सही रहेगी।

इस दिन हस्त नक्षत्र शाम 7.58 बजे तक और साध्य योग शाम 6.48 बजे तक रहेगा। ये दोनों योग बहुत ही फलदायी हैं।

 

नाग पंचमी पर 108 साल बाद  बन रहा है विशेष संयोग

ज्योतिष गणना के अनुसार, 13 अगस्त 2021 को पड़ने वाली नाग पंचमी के पावन पर्व पर इस बार उत्तरा योग और हस्त नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है. साथ ही शिन नक्षत्र भी लग रहा है। यह शनि नक्षत्र काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशिष्ट फलदायी होता है। धार्मिक मान्यता है कि शिन नक्षत्र में काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए की जानें वाली पूजा सबसे अधिक प्रभावशाली होती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार नाग पंचमी पर ऐसा संयोग 108 साल बाद बन रहा है। इस लिए इस बार की नाग पंचमी पर नाग देव की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती।

 

नाग पंचमी की कैसे करें पूजा

पंचमी के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत और पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थल पर नागदेवता का चित्र लगाएं या मिट्टी के सर्प देवता बना कर उनको लाल कपड़ा बिछाकर चौकी पर स्थापित कर दें। हल्दी, रोली, चावल,कच्चा दूध और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। तत्पश्चात कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें। अब नाग देवता की आरती करें और वहीं बैठ कर नागपंचमी की कथा पढ़ें। इसके बाद नाग देवता से घर में सुख-शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करें। नागदेवता की पूजा से घर में धन आगमन का स्रोत बढ़ता है

 

भूलकर भी न करें ये काम

नाग पंचमी के दिन जमीन की खुदाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सांप या नाग दोनों का बसेरा धरती के अंदर होता है, ऐसे में जमीन खोदने से उनको या उनके बिल को हानि पहुंच सकती है। किसानों को नागपंचमी के दिन धरती पर हल भी नहीं चलाना चाहिए। इस दिन सुई में धागा डालना,कैची चलाना या चाकू से सब्जी काटने का काम नहीं करना चाहिए। नाग या सांप को दूध अर्पित कीजिए लेकिन पिलाइए मत नाग देवता को दूध चढ़ता है लेकिन उन्हें दूध नहीं पिलाया जाता है। जीव हत्या ना करें, किसी भी तरह से सांप को नुकसान ना पहुंचाए।

 

नागपंचमी की कथा

एक बार नागमाता कदूर के एक छल में नागों ने भागीदारी से मना कर दिया था तो उन्होंने नागों को श्राप दिया कि पांडवों के वंशज जनमेजय द्वारा जब सर्प यज्ञ किया जाएगा, तब तुम सभी उस हवन की अग्नि में जल जाओगे। यह सुनकर नाग भयभीत हुए और वासुकि के नेतृत्व में ब्रह्माजी के पास पहुंचे। ब्रह्माजी ने उन्हें कहा कि यायावर वंश में एक तपस्वी जरतकारू नामक ब्राह्मण होगा जिसके साथ तुम्हारी बहन का विवाह होगा। इनके यहां आस्तिक नामक पुत्र जन्म लेगा, वह जनमेजय के यज्ञ से तुम्हारी रक्षा करेगा।

कालांतर में महाराजा परीक्षित को तक्षक ने काट लिया। उनका पुत्र जनमेजय उन्हें नहीं बचा सका। क्रोध में भरकर उसने विशाल यज्ञ करके सभी सर्पों को भस्म करने का संकल्प लिया। तब आस्तिक मुनि के आग्रह और तक्षक के क्षमा मांगने पर जनमेजय का गुस्सा शांत हुआ। तक्षक ने तब वचन दिया कि श्रावण मास की पंचमी को जो भी व्यक्ति श्रद्धासहित नाग की पूजा करेगा उसे सर्प दोष व नाग दोष से मुक्ति मिलेगी।