Shardiya Navratri: इस साल नवरात्रि (Navaratri) सोमवार यानी आज से शुरू हो गए हैं। इस बार अम्बे मां हाथी पर सवार होकर सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रही हैं। नवरात्रि में की गई पूजा से मां शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों का उदार करती हैं। नवरात्र के नौ रातों में तीन देवियों महाकाली, महालक्ष्मी और महा सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होगी। नौ दिन तक मां भगवती के व्रत करने से आशीर्वाद मिलेगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि इस बार नवरात्र पूजन द्विस्वभाव लग्न में होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मिथुन, कन्या, धनु तथा कुंभ राशि द्विस्वभाव राशि है। 26 सितंबर दिन सोमवार प्रतिपदा के दिन हस्त नक्षत्र और शुक्ल व ब्रह्म योग होने के कारण शुभ होगा। सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी धन धान्य की वृद्धि करने वाले योग विद्यमान होंगे। इस दिन स्थिर वृश्चिक लग्न भी होगा। यह ज्योतिष शास्त्र में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है।
धर्मशास्त्रों (Dharmashastra) के मुताबिक कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कालिका पुराण के अनुसार कलश के मुख में विष्णु जी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं। कलश के मध्य में दैवीय मातृ शक्तियां निवास करती हैं। दिक्पाल, देवता, सातों दीप, सातों समुद्र, सभी नक्षत्र, ग्रह, कुलपर्वत, गंगादि सभी नदियां, चारों वेद सभी कलश में ही स्थित हैं।
घट स्थापना मुहूर्त
पहला मुहूर्त : अमृत चौघड़िया – सुबह 6:10 से सुबह 7:15 तक।
दूसरा मुहूर्त : शुभ चौघड़िया – सुबह 9:11 से सुबह 10:40 तक।
तीसरा मुहूर्त : मुख्य अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक।
नवरात्रि में बोया जाता है जौ
नवरात्रि में पूजा स्थल के पास जौ बोने की परंपरा है। इसके पीछे का कारण यह कि जौ को ब्रह्म स्वरूप और पृथ्वी की पहली फसल जौ को माना गया है। यह शुभता को बढ़ाता है। सभी धार्मिक अनुष्ठान सफल होते हैं।
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हाथी की सवारी है वर्षा का संकेत
नवरात्रि सोमवार को शुरू होने के कारण इस बार मां का वाहन हाथी है। हाथी अधिक वर्षा का संकेत देता है। नवरात्र मंगलवार और शनिवार को शुरू होते हैं तो मां का वाहन घोड़ा होता है, जो सत्ता परिवर्तन का संकेत देता है। इसके अलावा गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होने पर मां दुर्गा डोली में बैठकर आती हैं। जो रक्तपात, तांडव, जन-धन हानि का संकेत बताता है। बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां नाव पर सवार होकर आती हैं। मां का प्रस्थान भी हाथी पर ही होगा।