झारखंड के गिरीडीह जिले के डुमरी प्रखण्ड की श्वेता हांसदा पहले महुआ से बनी शराब बेचकर महीने में दो से तीन हजार रुपये कमाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती थीं। हांसदा ने अब सखी मंडल से ऋण लेकर राशन की दुकान खोली है। अब वह महीने में करीब 6,000 रुपये की कमाई कर रही हैं। यही कहानी रांची के कांके प्रखंड की सुशीला की भी है।
सुशीला बताती हैं, "ज्यादा आमदनी के चक्कर में हड़िया (चावल से बना एक प्रकार का नशीला पेय पदार्थ) बेचने का काम करने लगे थे। लेकिन मैने फुलो झानो अभियान की आर्थिक मदद से किराना दुकान खोला है और गर्व के साथ अपने काम को कर रही हूं। इस कार्य से मैंने अपना सम्मान भी पाया है।"
झारखंड की कई ऐसी महिलाएं हैं जो पहले महुआ से बनी शराब और हड़िया बनाकर, बेचकर अपना गुजारा करती थीं। लेकिन अब वे आजीविका का दूसरा साधन ढूंढ़कर सम्मानजनक जीवन जी रही हैं। ऐसी महिलाओं को आजीविका के सशक्त एवं सम्मानजनक अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य में प्रारंभ किए गए 'फुलो झानो आशीर्वाद अभियान' का असर अब दिखने लगा है। इस योजना से पिछले तीन महीने में करीब 7,117 ग्रामीण महिलाओं को काउंसलिंग कर हड़िया, शराब बिक्री एवं निर्माण के कार्य से अलग कर स्थानीय वैकल्पिक आजीविका के साधन उपलब्ध कराए गए हैं।
सालों से हड़िया, शराब की बिक्री कर आमदनी कर रही महिलाओं को इस पेशे से बाहर निकालने में महिला समूह की महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ग्रामीण विकास विभाग की सचिव अराधना पटनायक बताती हैं कि चिह्नित महिलाओं में से 346 को नवजीवन दीदी के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। जो अपने गांव एवं आस-पास में हड़िया, शराब बिक्री से जुड़ी अन्य महिलाओं को प्रेरित कर इस वैकल्पिक आजीविका से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
<h2>महिलाओं को सखी मंडल से जोड़कर दिया जा रहा रोजगार</h2>
इस अभियान के तहत बोकारो जिले में कुल चिह्नित 407 महिलाओं को तथा कोडरमा की 24, साहेबगंज की 278, पलामू की 199 एवं लातेहार की 630 महिलाओं को आजीविका के वैकल्पिक साधन उपलब्ध करा दिए गए हैं। फुलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत हड़िया, शराब बिक्री कर रही चिह्नित महिलाओं को प्राथमिकता से सखी मंडल में जोड़ा जा रहा है। उनको जरूरत के मुताबिक 10 हजार की राशि का ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। सामान्य शर्तों पर अतिरिक्त राशि भी ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जा रही है।
विभाग के एक अधिकारी बताते हैं, "इस अभियान के तहत स्थानीय स्तर पर कृषि आधारित आजीविका, पशुपालन, वनोपज उत्पादन, सूक्ष्म उद्यम एवं अन्य अवसरों से चिह्नित महिलाओं को जोड़ा जा रहा है। वहीं तकनीकी मदद भी की जा रही है, जिससे उनकी अच्छी कमाई हो और स्थायी आजीविका में बदल सके।"
इस अभियान में ज्यादातर महिलाएं दुकान, खेती, पशुपालन, सिलाई एवं अन्य कार्यों से जुड़ रही हैं। देवघर के मारगोमुंडा प्रखण्ड की सरिता देवी बताती हैं कि वो पिछले 2 साल से आर्थिक दिक्कतों की वजह से घर में हड़िया बनाकर बेचने का काम करती थीं। लेकिन आज अपनी सिलाई मशीन खरीद कर सिलाई का व्यवसाय कर रही हैं और खेती का भी काम कर रही हैं।
<h2>मिशन नवजीवन सर्वेक्षण से हुई शुरुआत</h2>
राज्य के अधिकारी कहते हैं कि पहले ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी (जेएसएलपीएस) ने मिशन नवजीवन सर्वेक्षण की शुरुआत की। जिसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में हड़िया-शराब बिक्री से जुड़ी महिलाओं का डेटाबेस तैयार किया गया। सर्वेक्षण में राज्य भर में 16,549 ऐसी महिलाओं की पहचान की गई। इन महिलाओं को चिह्नित करने के बाद इनको सम्मानजनक आजीविका के वैकल्पिक एक से अधिक साधनों से जोड़ने के लिए फुलो झानो आशीर्वाद अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की।
जेएसएलपीएस के सीईओ राजीव कुमार ने कहा, "पिछले 3 महीनों में ही इस डेटाबेस के कुल 7,117 ग्रामीण महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका के साधन से जोड़ दिया गया है। इस पर भी ध्यान रखा जा रहा है कि वे फिर हड़िया बिक्री के कार्यों से न जुड़ें।".