आज पिठौरी अमावस्या है। इसे कुशाग्रहणी और कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुशोत्पाटिनी का अर्थ है कुशा का संग्रह करना। धार्मिक कार्यों में प्रयोग होने वाली कुशा का इस अमावस्या पर संग्रह किया जाता है। आमतौर पर अमावस्या का उखाड़ा गया कुश का प्रयोग एक महीने तक किया जा सकता है। वहीं पिठोरी अमावस्या के दिन आटे से मां दुर्गा सहित 64 देवियों की आटे से मूर्तियां बनाते हैं। महिलाएं इस दिन आटे से बनी देवियों की पूजा-अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं। इसलिए इसे पिठोरी अमावस्या कहते हैं। जानिए पिठोरी अमावस्या का महत्व और शुभ मुहूर्त-
पिठोरी अमावस्या शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि का प्रारंभ- 06 सितंबर को सुबह 07 बजकर 38 मिनट से
अमावस्या तिथि का समापन- 07 सितंबर को प्रात: 06 बजकर 21 मिनट पर
पिठौरी अमावस्या के उपाय
पिठोरी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए दान से सहस्त्र गौदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन चीटिंयों को चीनी मिला आटा खिलाने से जीवन में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है और आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं। पीपल के पेड़ का पूजन करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। इस दिन मांये इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद पीपल के पेड़ की परिक्रमा कर जल चढ़ाती हैं, उनके पुत्रों के सभी रोग दूर होते हैं तथा दीर्घ आयु प्राप्ति होती है।
इस अमावस्या के दिन पास के तालाब या नदी में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन की आर्थिक तंगी दूर होगी और धन-धान्य की प्राप्ति होगी। काल सर्पदोष दूर करने के लिए पिठोरी अमावस्या के दिन चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बना कर नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए या फिर शंकर जी के मंदिर में चढ़ा देना चाहिए। पिठोरी अमावस्या के दिन तुलसी का पूजन करके, परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से रोग दोष से मुक्ति मिलती है तथा धन लाभ होने की संभावना होती है।
पिठौरी अमावस्या की पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है, लेकिन इस समय कोरोना वायरस की वजह से घर से बाहर जाने से बचें। इस समय घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें। इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।