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जिससे करती हो प्यार उससे चाहती हो शादी तो रखो प्रदोष व्रत, देखें भगवान भोलेनाथ कैसे होंगे खुश और कैसे देंगे मनचाहा वरदान

photo courtesy Pradosh Vrat

जिस तरह हर महीने एकादशी का व्रत होता है, उसी तरह ही हर महीने भी रखा जाता है। ये व्रत महीने में दो बार होता है। व्रत वाले दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। उनका पूजन करने से सभी देवी-देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस महीने का पहला प्रदोष व्रत 9 अप्रैल को पड़ रहा है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला था तो सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था। वो विष इतना भयंकर था कि उसे पीने के बाद महादेव का कंठ नीला पड़ गया था और शरीर में असहनीय जलन होने लगी थी। 
 
जिस दिन ये घटना घटी थी उस दिन त्रयोदशी तिथि थी और प्रदोष काल था। संसार को विष के प्रभाव से बचाने के बाद देवताओं ने भगवान शिव की पूजा की थी। देवताओं की भक्ति से खुश होकर महादेव ने तांडव किया था। तभी से हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में महादेव के पूजन की परंपरा चलती आ रही है और इस व्रत प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाने लगा है। ये व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके साथ ही शादीशुदा जिंदगी में खुशहाली आती है। ये व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। कई भक्त इस व्रत को निर्जला रखते है। 
 
अगर आप भी ये व्रत रखना चाहते है, तो कुछ नियमों का खास ध्यान रखना होगा। साथ ही स्वच्छता का भी विशेष महत्व देना होगा। व्रत वाले दिन गलत विचारों को मन से दूर रखना होगा और हर मिनट भगवान का स्मरण करना होगा। व्रत वाले दिन पूजा थाली को भगवान शिव की पसंदीदा चीजों से सजाएं। पूजा की थाली में फूल, 5 प्रकार के फल, मिष्ठान, अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, धतूरा, बेलपत्र, कपूर आदि रखे। व्रत के शुभ मुहूर्त की बात करें तो पंचांग के मुताबिक, 9 अप्रैल को चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ प्रात: 3 बजकर 15 मिनट से होगा और समापन 10 अप्रैल शनिवार सुबह 4 बजकर 27 मिनट पर होगा। पूजा करने के लिए सबसे अच्छा समय 9 अप्रैल की शाम 5 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 12 मिनट का है।