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Putrada Ekadashi: निसंतान दंपति जरूर रखें पुत्रदा एकादशी व्रत, पुत्र की प्राप्ति के लिए जानें पूजा के नियम

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पुत्रदा एकादशी निसंतान दंपति के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता हैं। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं और हर माह में दो बार एकादशी होती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। हिंदू धर्म में एकादशी का बेहद महत्व होता है। एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस पावन दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह व्रत संतान के लिए भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति भी होती है। चलिए पुत्रदा एकादशी डेट, पूजा- विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट

 

पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

पुत्रदा एकादशी व्रत प्रारंभ- 18 अगस्त 2021 दिन बुधवार,  रात  03 बजकर 20 मिनट से

पुत्रदा एकादशी व्रत समापन- 19 अगस्त 2021 दिन गुरुवार, रात  01 बजकर 05 मिनट तक

 

पुत्रदा एकादशी व्रत का नियम

जिस दिन से एकादशी तिथि लग जाये उस दिन से चावल नहीं खाना चाहिए। एकादशी व्रत में रात्रि का जागरण उत्तम माना जाता है। एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करें और शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। उसके बाद गरीब जरूरत मंद ब्राह्मण को भोजन कराकर ही भोजन करें।

 

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

व्रत के दिन प्रातःकाल सूर्योदय के पूर्व स्नान कर घर के मंदिर में जाकर व्रत का संकल्प लें। अब पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीला फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसी आदि अर्पित करें। पुनः धूप दीप जलाकर आरती करें और भगवान से संतान प्राप्ति की मन्नतें मांगे। ध्यान रहे संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत पति-पत्नी दोनों एक साथ रखें और भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करें। भगवान कृष्ण को पंचामृत बहुत पंसद है इसलिए इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है।