Hindi News

indianarrative

Radha Ashtami 2021: राधाष्टमी आज, इस तरह करें पूजा, राधा रानी के साथ मिलेगा भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद, देखें शुभ मुहूर्त

courtesy google

आज राधाअष्टमी हैं। राधा के बिना भगवान श्रीकृष्ण अधूरे हैं। श्रीकृष्ण के नाम के आगे राधा रानी का नाम लिया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी व्रत रखा जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का त्योहार बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं। जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन माता राधा की पूजा करने वाले भक्तों को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता राधा को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। माता राधा के निश्चछल प्रेम के बंधन में बंधे भगवान श्रीकृष्ण ने कई लीलाएं कीं जो कि आज के युग में भी प्रासंगिक हैं। इन दोनों के जीवन से सीखने लायक कई बातें हैं जिन्हें हमें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। माता राधा की आभा ही ऐसी थी कि हर कोई मोह के बंधन में एक बार को तो बंध ही जाता था।

 

राधाअष्टमी का शुभ मुहूर्त

शुभ तिथि शुरू- 13 सितंबर, 2021 को दोपहर 03:10 बजे

शुभ तिथि समाप्त- 14 सितंबर, 2021 को दोपहर 01:09 बजे

 

राधाष्टमी की पूजन सामग्री

राधाष्टमी का व्रत अखंड़ सौभाग्य और जीवन के सभी दुख दूर करने के लिए रखा जाता है। इस दिन विधि पूर्वक पूजन करने से कृष्ण जी के पूजन का पूर्ण फल मिलता है और मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। राधाष्टमी के पूजन के लिए तांबे के कलश और पात्र के अलावा धूप,दीप, रोली,अक्षत, नैवेद्य और वस्त्र चाहिए। इसके अलावा इस दिन राधा जी को श्रृगांर का सामान अर्पित करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

 

राधाष्टमी का व्रत और पूजन विधि

राधाष्टमी के दिन प्रातः काल उठ कर स्नान आदि से निवृत्त हो कर एक मंडल या मंड़प का निर्माण करें। इस मंड़प के बीच में एक मिट्टी या तांबे के कलश पर एक पात्र रखें। पात्र में राधा जी की या राधा कृष्ण की संयुक्त मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले राधा जी को धूप,दीप, नैवेद्य अर्पित करें। इसेक बाद उनका षोडसोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। राधा जी को नये वस्त्र आदि अर्पित कर, व्रत का संकल्प लें। राधाष्टमी के दिन फलाहार का व्रत रखना चाहिए। कुछ लोग रात्रि को राधा जी को भोग लगाने के बाद अन्न ग्रहण कर लेते हैं। जबकि कुछ लोग नवमी की तिथि पर अगले दिन स्नान दान के बाद व्रत का पारण करते हैं।