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अब दलालों से मिलेगा छुटकारा, Railway करने जा रही Online Ticket Booking में बड़ा बदलाव- आप भी जान लें

रेलवे की ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं तो जान लें यह नया बदलाव

रेलवे लगातार सुधारों की ओर बढ़ रहा है और इसी दिशा में दलालों से भी निजात पाने के लिए अब एक और जरूरी कदम उठाए जाने पर विचार कर रहा है। रेलवे टिकट बुकिंग वेबसाइट IRCTC पर यात्रियों के लिए लॉगइन ब्योरे से आधारकार्ड, पैनकार्ड और पासपोर्ड जैसे पहचानपत्रों को लिंक करने की योजना बना रहा है। इसकी जानकारी रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक अरुण कुमार ने दी, उन्होंने कहा कि, पहले दलालों के खिलाफ कार्रवाई मानव खुफिया सूचना पर आधारित रहती थी, जिसका जमीनी स्तर पर बहुत कम या नहीं के बराबर असर होता था।

उन्होंने कहा, हम उस कमी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं, भावी कार्ययोजना यह है कि आखिरकार हमें टिकट के वास्ते लॉगइन को किसी पहचान पत्र जैसे पैन या आधार कार्ड या किसी अन्य सबूत से जोड़ना होगा, जिसके नंबर का इस्तेमाल यात्री लॉगइन करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है ताकि दलाली पर हम पूर्ण विराम लगा सकें। इसके आगे उन्होंने कहा कि, पिछले दो साल में RPF द्वारा किये गये कार्य के बारे में कहा, यह हमारी भावी योजना है। हमें पहले नेटवर्क तैयार करना होगा, हम आधार के प्राधिकारियों के साथ अपना कार्य करीब पूरा कर चुके हैं, जब यह व्यवस्था बन जाएगी, हम उसका इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे।

महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि, दलालों के खिलाफ अक्टूबर-नवंबर, 2019में कार्रवाई शुरू की गयी थी और उसी साल दिसंबर से अवैध सॉफ्टवेयर के विरुद्ध कार्रवाई की गयी। उनके अनुसार मई, 2021तक 14257दलाल गिरफ्तार किये गये और अबतक 28.34करोड़ रुपये के टिकट जब्त किये गये। यात्रा के दौरान यात्रियों द्वारा सरकारी रेलवे पुलिस और आरपीएफ में सुरक्षा संबंधी शिकायत दर्ज कराने के लिए रेल सुरक्षा ऐप विकसित किया गया है। हम 6049स्टेशनों एवं सभी यात्री ट्रेन डिब्बों में सीसीटीवी कवरेज के लिए निगरानी एवं जवाबी कार्रवाई प्रणाली तैयार कर रहे हैं।

इसके साथ ही यह भी कहा कि, आरपीएफ ने कोविड के चलते अनाथ हो गये बच्चों तक पहुंचने, उन्हें सुरक्षित रखने एवं उनके पुनर्वास के लिए एक विशेष योजना बनायी है। आरपीएफ ने कोविड के चलते अनाथ हुए एवं मुश्किल स्थिति में स्टेशन, ट्रेनों या समीप के शहरों, गांवों, अस्पतालों में मिलने वाले बच्चों की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाया है। कर्मियों को महामारी के फैलने से प्रभावित हुए ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान देने के लिए संवेदनशील बनाया गया है। बच्चे के मिलने से उसके पुनर्वास तक हर बच्चे के लिए एक नोडल आरपीएफ कर्मी जिम्मेदार हैं।