Hindi News

indianarrative

Sankashti Chaturthi: आज गणेश संकष्टी चतुर्थी पर बन रहा खास संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और चंद्र दर्शन का समय

photo courtesy google

आज संकष्टी गणेश चतुर्थी है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी कहते है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्रमा के उदित होने के बाद उसे अर्घ्य देकर खोला जाता है। यह तिथि रविवार के दिन पड़ने के कारण इस दिन रविवती संकष्टी चतुर्थी का संयोग बन रहा है। ऐसे में जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, उनके लिए रविवती संकष्टी चतुर्थी का व्रत करना बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इस दिन गणपति बप्पा की विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन में आनी वाले विघ्न यानि परेशानियां दूर होती है।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्रमा के उदित होने के बाद उसे अर्ध्‍य देकर खोला जाता है। ये तिथि रविवार के दिन पड़ने के कारण इस दिन रविवती संकष्टी चतुर्थी का संयोग बन रहा है। ऐसे में जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, उनके लिए रविवती संकष्टी चतुर्थी का व्रत करना बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

संकष्टी चतुर्थी, शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि आरंभ- 27 जून 2021 शाम 03 बजकर 54 मिनट से

आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त- 28 जून 2021 दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर

संकष्टी के दिन चन्द्रोदय- 27 जून 2021 10 बजकर 03 मिनट पर

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि- गणेश जी को बल, बुद्धि और विवेक का देवता माना गया है। वे अपने भक्तों को हर विघ्न बाधा और दुख से दूर रखते हैं। शास्त्रों में संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकटों को हरने वाली चतुर्थी से ही है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें। अब पूजा स्थल पर एक चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर उनका पूजन करें। सभी पूजन सामग्री के साथ गणेश जी को दूर्वा जरुर चढ़ाएं और गणेश जी को लड़डुओं या तिल से बने मिष्ठान का भोग भी जरुर लगाएं और व्रत कथा सुनें। पूजा में गणेश जी के मंत्रों का जाप कर आरती करें और रात में जब चंद्रमा उदय हो जाय तो शुभ मुहूर्त में जल से अर्घ्य देकर उपवास पूरा करें।