आज मासिक शिवरात्रि है। शिव कृपा दिलाने वाली शिवरात्रि का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। सावन माह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। भक्तों के ध्यानभर से ही भगवान शिव उनकी हर मनोकामना को पूर्ण कर देते है। हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस तरह साल में कुल 12 मासिक शिवरात्रि आती है। वहीं फाल्गुन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि को महा शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है। चलिए आपको सावन माह की मासिक शिवरात्रि की पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और शिव पूजा सामग्री के बारे में बताते है।
सावन मासिक शिवरात्रि तिथि और शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि 06 अगस्त को शाम 06:28 बजे शुरू होगी
और 07 अगस्त को शाम 07:11 बजे समाप्त होगी।
भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त 7 अगस्त को 12.06 से प्रातः 12.48 बजे तक का है।
मासिक शिवरात्रि व्रत विधि
मासिक शिवरात्रि पूजा आधी रात को की जाती है जिसे निशिता काल भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत भगवान शिव की मूर्ति का 'अभिषेक' करने से होती है। भक्त गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, सिंदूर, हल्दी पाउडर, गुलाब जल और बेल के पत्ते चढ़ाते हैं। इसके बाद शिव आरती या भजन गाए जाते हैं और शंख बजाया जाता है. इसके बाद भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। शिवरात्रि व्रत पूरे दिन मनाया जाता है और अगले दिन पारण किया जाता है। शिवरात्रि के एक दिन पहले, भक्तों को केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए।
शिवरात्रि के दिन, सुबह नहाने के बाद, भक्तों को पुरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के दौरान, भक्तों को मन ही मन अपनी प्रतिज्ञा दोहरानी चाहिए और भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने के लिए आशीर्वाद मांगना चाहिए। शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करनी चाहिए या मन्दिर जाना चाहिए। शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन स्नानादि के बाद अपना व्रत तोड़ना चाहिए। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए, भक्तों को सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए।