सावन का आखिरी प्रदोष व्रत बेहद महत्वपूर्ण हैं। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी में प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस तरह से महीने में कुल दो और साल में 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। इस प्रदोष पर विशेष योग का निर्माण हो रहा है। आपको बता दें कि सावन के दूसरे प्रदोष व्रत की शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, विशेष योग
प्रदोष पूजन मुहूर्त
शाम को 06 बजकर 40 मिनट से रात 08 बजकर 57 मिनट तक
प्रदोष व्रत में बन रहे शुभ संयोग
सावन के आखिरी प्रदोष व्रत के दिन आयुष्मान और सौभाग्य योग का शुभ संयोग बन रहा है। आयुष्मान योग 20 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सौभाग्य योग लगेगा। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत पूजा-विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव है तो व्रत करें। भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें। इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव की आरती करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं। भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।