Hindi News

indianarrative

Sawan Somwar 2021: जानिए कब से शुरु हो रहा भगवान शिव का सबसे लोकप्रिय ‘सावन’ का महीना!, इन बातों का रखें खास ख्याल

photo courtesy Google

आज जून का आखिरी दिन और कल से शुरु हो जुलाई का महीना। जुलाई को श्रावण मास भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग का ये पांचवां महीना होता है। श्रावण मास में भगवान शिव की विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये माह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसलिए शिवभक्त सावन के महीने का बेसब्री से इंतजार करते है। सावन का महीना 25 जुलाई 2021 से शुरु हो रहा है, जो 22 अगस्त 2021 को समाप्त होगा। सावन के पावन महीने में शिव के भक्त कावड़ लेकर आते है और उस कांवड़ में भरे गंगा जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं।

श्रावण माह में सोमवार के दिन का भी विशेष महत्व होता है। सावन सोमवार व्रत रखने भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते है और भगवान भोलेनाथ खुश होकर भक्तगणों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते है। अगर ये व्रत कुंवारी कन्याएं रख लें, तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। 

सावन सोमवार की व्रत की तिथियां-

सावन का पहला सोमवार- 26 जुलाई 2021

सावन का दूसरा सोमवार- 2 अगस्त 2021

सावन का तीसरा सोमवार- 9 अगस्त 2021

सावन का चौथा सोमवार- 16 अगस्त 2021

सावन सोमवार व्रत में भगवान शिव की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। शिव पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं। इसके अलावा, तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है। साथ ही शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।

ऐसे करें सावन सोमवार व्रत में भगवान शिव की पूजा- सावन के माह में देवों के देव महादेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके ताजे विल्बपत्र लाएं। पांच या सात साबुत विल्बपत्र साफ पानी से धोएं और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखें। इसके बाद तांबे के लोटे में जल या गंगाजल भरें और उसमें कुछ साबुत और साफ चावल डालें। और अंत में लोटे के ऊपर विल्बपत्र और पुष्पादि रखें। विल्बपत्र और जल से भरा लोटा लेकर पास के शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप या भगवान शिव को कोई अन्य मंत्र का जाप करें। रुद्राभिषेक के बाद समय होता मंदिर परिसर में ही शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। मंदिर में पूजा करने बाद घर में पूजा-पाठ करें।