वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का उत्सव मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सीता का जन्म हुआ था। सीता नवमी की शुरुआत आज दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से शुरु होकर अगले दिन 21 मई को 11 बजकर 10 मिनट तक होगा। आज हम आपको सीता नवमी के मौके पर बताएंगे वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस के मुताबिक माता सीता की अनसुनी बातें-
तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरित मानस में देवी सीता का वर्णन कुल 147 बार किया गया है। वहीं वाल्मीकि रामायण में देवी सीता के स्वयंवर के बारे में नहीं बताया गया है जबकि बाबा तुलसीदास ने लिखा है कि मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीराम और सीता माता का विवाह हुआ था। लेकिन वाल्मीकि रामायण के अनुसार देवी सीता के स्वयंवर के बजाए विवाह के बारे में जिक्र मिलता है। इसके अनुसार उनका विवाह बाल्यावस्था में मात्र 6 साल की उम्र में ही हो गया था।
बताया जाता है कि माता सीता 18 साल की उम्र में श्रीराम के साथ वनवास चली गयी थीं। विवाह के बाद माता सीता कभी भी अपने मायके जनकपुर नहीं गई थीं। हालांकि वनवास जाने से पहले पिता जनक ने देवी सीता को जनकपुर चलने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने अपने पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए जाने से मना कर दिया। वहीं सीका हरण को लेकर भी वाल्मीकि और रामचरित मानस में अलग-अलग मत है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण ने सीता का हरण अपने ही दिव्य रथ में किया था। लेकिन बाबा तुलसीदास ने लिखा है कि रावण सीता माता के हरण के पश्चात उन्हें अपने पुष्पक विमान से लंका ले गया था।
हरण के बाद सीता रावण की लंका में कुल 435 दिन रही थी। जब माता सीता लंका से लौटीं तो उनकी उम्र 33 साल थी। रावण के पास माता सीता नहीं बल्कि उनकी प्रतिछाया थी। जानकारी के अनुसार जब तक माता सीता लंका में रहीं तब तक उनका असली रूप अग्नि देव के पास रहा। इसके अलावा, वाल्मीकि रामायण में कहा गया कि सीता के हरण के पश्चात देवराज इंद्र ने ऐसी खीर बनाकर माता सीता को खिलाई थी। जिससे खाने से भूख-प्यास नहीं लगती थी। यही वजह थी कि जब तक सीता माता लंका में रहीं। उन्हें भूख-प्यास नहीं लगी।