हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का काफी महत्व होता है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। साल 2021 में पड़ने वाली ये पहली और आखिरी सोमवती अमावस्या है। ये संयोग साल में दो या तीन बार बनता है। इस बार 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पड़ रही है। इस दिन हरिद्वार महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान भी होगा। इस साल सोमवती अमावस्या के दिन वैधृति और विष्कंभ योग बन रहा है। वैधृति योग दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विष्कुम्भ योग लग जाएगा। आपको बताते है कि आखिर क्या है वैधृति और विष्कंभ योग-
विष्कुम्भ योग को ज्योतिष शास्त्र में विष से भरा हुआ घड़ा माना जाता है। जिसके चलते इसको विष्कुम्भ योग का नाम दिया गया है। जिस तरह विष को खा लेने से पूरे शरीर में वो फैल जाता है वैसे ही इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान होता है। इसलिए इस योग को अशुभ माना जाता है। वहीं वैधृति योग यात्रा और भाग-दौड़ वाले कार्यो के लिए घातक है। इनके बुरे प्रभावों से बचने के लिए 'ऊॅं नम: शिवाय' का जप करें। चलिए अब आपको सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त बताते है। अमावस्या की शुरुआत 11 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 03 मिनट से होगी और समापन अगले दिन 12 अप्रैल को सुबह 8 बजे होगा।
सोमवती अमावस्या का काफी महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस पावन दिन पर माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में शांति बनी रहती है और धन की वर्षा भी होती है। पूजा करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर भगवान के आगे ज्योत जलाकर उनका ध्यान करें। इस दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है। ऐसे में पीपल की पूजा करने से सभी देवता खुश हो जाते है।